तीन तलाक के मामले को देश की सर्वोच्च अदालत तक ले जाने वाली सहारनपुर की अतिया साबरी की बड़ी जीत, मिलेगा गुजारा भत्ता

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तीन तलाक के मामले को देश की सर्वोच्च अदालत तक ले जाने वाली सहारनपुर की अतिया साबरी ने भरण पोषण भत्ते के मामले में एक बार फिर जीत हासिल की है। परिवार न्यायालय ने सुनाया गुजारा भत्ता देने का फैसला। प्रार्थना पत्र की तारीख से मिलेंगे 21 हजार रुपया प्रतिमाह।

सहारनपुर, जेएनएन। तीन तलाक के मामले को देश की सर्वोच्च अदालत तक ले जाने वाली सहारनपुर की अतिया साबरी ने भरण पोषण भत्ते के मामले में एक बार फिर जीत हासिल की है। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश नरेंद्र कुमार ने अतिया को प्रार्थना पत्र की तारीख से देय 13 लाख 44 हजार रुपये का एकमुश्त गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है, जबकि आगे उसे 21 हजार रुपये प्रति माह की दर से भरण-पोषण भत्ता मिलेगा। इसमें अतिया और उसकी दो नाबालिग पुत्रियों की बराबर की हिस्सेदारी होगी।

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अतिया साबरी ने यह शिकायत 24 नवंबर 2015 को अपने पति वाजिद अली के खिलाफ अदालत में दाखिल की थी। कहा था कि उसका निकाह 25 मार्च 2012 को वाजिद अली के साथ हुआ था। शादी में परिवार वालों ने कार, जेवर, घर का जरूरी सामान सहित 25 लाख रुपये खर्च किए थे, लेकिन ससुराल वाले इसके बावजूद 20 लाख रुपये की मांग करते थे। मांग पूरी न होने पर उन्होंने अतिया को जहर देकर मारने की भी कोशिश की, परंतु वह बचकर अपने मायके लौट आई। नवंबर 2015 में उनके पति ने तीन तलाक दे दिया।

अतिया ने इसके खिलाफ न्यायालय में आवाज उठाई। उर्दू और समाजशास्त्र में एमए अतिया ने अपने पति के खिलाफ भरण पोषण भत्ते का वाद अदालत में दाखिल किया। अपने पति की आय एक लाख प्रतिमाह बताते हुए अतिया ने कहा कि वाजिद के नाम हीरो होंडा मोटरसाइकिल की डीलरशिप तथा खेती की 100 बीघा जमीन है। अतिया ने अपने लिए 25 हजार तथा अपनी दोनों नाबालिग पुत्रियों सादिया व सना के लिए 10-10 हजार प्रतिमाह भरण पोषण भत्ता मांगा।

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दोनों पक्षों की बहस सुनने तथा पत्रावली पर आए साक्ष्य के आधार पर प्रधान न्यायाधीश नरेंद्र कुमार ने 22 मार्च को यह फैसला सुनाया। अतिया और उसकी बेटी सादिया तथा सना के लिए 7-7 हजार की रकम भरण पोषण भत्ते के रूप में तय की। अदालत ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि भरण पोषण का भुगतान अतिया को अपने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की तारीख से दिया जाएगा। इस प्रकार अतिया को 5 साल 4 महीने का भरण-पोषण भत्ता मिलेगा।

जुल्म के खिलाफ संघर्ष करें महिलाएं

अतिया कहती हैं कि यह लड़ाई लड़ पाना आसान नहीं था। इस दौरान कोर्ट कचहरी करने में उनका एक पैर घर में तो दूसरा पैर कचहरी में रहा। उन्हें असहनीय उत्पीडऩ भी सहना पड़ा, लेकिन न्याय व्यवस्था पर उनका भरोसा था। इंसाफ की जीत हुई है। वह महिलाओं को संदेश देकर कहती हैं कि अपने हक की लड़ाई निडर होकर लड़ें और न्याय प्रणाली पर भरोसा रखे। जुल्म के खिलाफ संघर्ष करें और जुल्म को दबने न दें।

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कौन हैं अतिया

तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लडऩे वाली सहारनपुर के मोहल्ला आली की चुंगी निवासी अतिया साबरी की शादी 25 मार्च 2012 को हरिद्वार जनपद के सुल्तानपुर निवासी वाजिद अली के साथ हुई थी। साभार-दैनिक जागरण

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