5 पुलिस कांस्टेबल और 8 नेशनल प्लेयर, एक ही घर की 13 लड़कियों ने पूरे गांव का नाम रौशन किया

तोड़ के पिंजरा, जाने कब उड़ जाऊंगी मैं
लाख बिछा दो बंदिशे, फिर भी आसमान में जगह बनाऊंगी मैं

यह 21वीं सदी है.. नारी सशक्तिकरण की सदी.. आज बेटियां पिंजरों में कैद नहीं है.. अगर देश के कुछ हिस्सों में कैद हैं भी तो वे पिंजरा तोड़कर उड़ने का हुनर जान गई हैं। आज हमारे देश की बेटियां लगभग हर क्षेत्र में कार्यरत हैं। वह बेटों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चल रहीं हैं। आज की कहानी एक ही घर के 8 बेटियों की है जो नेशनल प्लेयर हैं। ऐसा नहीं कि इनके पिता के पास अधिक धन होने के कारण इन्हें सभी चीज़ों का प्रशिक्षण मिला है, बल्कि यह चरवाहा है।

खेत को बनाया खेल का मैदान

यह कहानी राजस्थान (Rajasthan) के चुरू (Churu) जिले के एक गांव की है जहां के बेटियों ने कमाल कर दिखाया है। ये चौधरी परिवार से बिलॉन्ग करतीं हैं। इन 8 लड़कियों ने एथलेटिक्स में अपनी पहचान बनाई है। ये 8 लड़कियां एक ही परिवार के 3 भाइयों की बेटी हैं। इन्होंने अपने खेत को मैदान बनाया, जहां इन लोगों ने परिश्रम किया और परिवार के साथ-साथ गांव का नाम भी रौशन किया।

5 बहनें हैं पुलिस कांस्टेबल

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस गांव के एक उत्तमपुरुष ने यह बताया कि इन बेटियों के कारण हम अपने गांव पर गर्व करतें हैं। इन्होंने यह भी बताया कि हमारे गांव में चौधरी परिवार एक ऐसा परिवार है जिस परिवार की 8 बेटियों ने एथेलेटिक्स में नाम कमाकर सभी लड़कियों का मनोबल बढ़ाया है। अब अधिक से अधिक लड़कियां गवर्नमेंट जॉब ज्वॉइन कर समाजसेवा में लगीं हैं।

  1. यह हैं, सरोज जो 30 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं

देवकरण चौधरी (Devkaran Chaudhary) जी खेती करने के साथ भेड़-बकरियों को भी चराते हैं। इनकी सुपुत्री का नाम सरोज (Saroj) है। सरोज पोस्ट ग्रेजुएट हैं। इन्होंने स्टेट लेवल के कम्पटीशन में 30 से ज्यादा संख्या में गोल्ड मेडल जीता है। खेलों में वह लगभग 10 वर्षों से सक्रिय हैं। ऐसा नहीं है कि सरोज अब परिवार सम्भाल रहीं हैं बल्कि राजस्थान में बतौर पुलिस कांस्टेबल लोगों का ध्यान रख रहीं हैं।

  1. यह हैं, सुमन जो राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स हैं

सुमन चौधरी (Suman Chaudhary) भी देवकरण जी की सुपुत्री हैं। यह सरोज से बड़ी हैं। इन्होंने एमए
प्रवेश तक की शिक्षा ग्रहण किया है। सरोज राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स में अपने हुनर को दिखा चुकी हैं।

  1. यह हैं, कमलेश जो 6 बार स्टेट लेवल पर मेडल जीत चुकीं हैं

कमलेश चौधरी (Kamlesh Chaudhary) भी देवकरण जी की सुपुत्री है। इन्होंने ग्रेजुएशन किया है। कमलेश स्टेट और नेशनल लेवल की प्लेयर रह चुकी हैं। इन्होंने स्टेट लेवल पर 6 बार मेडल जीतकर अपने परिवार नाम रौशन किया है। अब यह पुलिस कांस्टेबल के पद पर अपना कार्य संभाल रहीं हैं।

  1. यह हैं, कैलाश कुमारी जो सीआईडी सीबी में हैं कांस्टेबल

कैलाश (kailash) के पिता जी का नाम शिशुपाल चौधरी (Shishupal Chaudhary) है। इन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है। कैलाश भी अपनी बहनों की तरह राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं। अब वह सीआईडी सीबी में कांस्टेबल के रूप में अपना कार्यभार संभाल रहीं हैं।

  1. यह हैं, सुदेश जो पुलिस कांस्टेबल हैं

सुदेश (Sudesh) भी शिशुपाल जी की सुपुत्री हैं और ग्रेजुएट हैं। सुदेश भी अपने बहनों से कम नहीं हैं। यह भी स्टेट लेवल पर एथलेटिक्स के कम्पटीशन में हिस्सा ले चुकी हैं। वर्तमान में पुलिस कांस्टेबल हैं।

  1. यह हैं, निशा जो 20 पदक जीत चुकी हैं

निशा (Nisha) शिशुपाल जी की सुपुत्री हैं। इन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल किया है। इन्होंने भी राष्ट्रीय स्तर के कम्पटीशन में भाग लिया है। इतना ही नहीं निशा स्टेट लेवल पर 20 पदक अपने नाम कर चुकी हैं।

  1. यह हैं, पूजा जो 5 मेडल जीती हैं

पूजा (Pooja) शिशुपाल (Shishupal) जी की सुपुत्री है। इन्होंने भी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है। पूजा भी स्टेट लेवल पर 5 मेडल जीत चुकी हैं।

  1. यह हैं, सुमित्रा जो आरएसी में कांस्टेबल हैं

सुमित्रा (Sumitra) रामस्वरूप (Ramsawarup) जी की सुपुत्री है। इन्होंने बीएड किया है और यह भी स्टेट लेवल पर खेल चुकी हैं, 2 पदक भी जीतें हैं। सुमित्रा आरएसी में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं।

अपनी मेहनत से कामयाबी हासिल कर परिवार के साथ साथ गांव का नाम रौशन करने के लिए hamaraghaziabad इन सभी बहनों को बधाई देते हुए सलाम करता है।

आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें।हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziaba

Exit mobile version