सरकार बातचीत करना चाहती है तो किसान हैं तैयार – राकेश टिकैत

गाजियाबाद।भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार बातचीत करना चाहती है तो किसान और कमेटी बात करने को तैयार है। हम सरकार से चर्चा करना चाहते हैं। हमने सरकार से कहा कि वह तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लेे और एमएसपी पर कानून बनाए। प्रधानमंत्री आम जनता से गैस सिलिंडर पर सब्सिडी छोड़ने की अपील कर रहे हैं। उनकी प्रधानमंत्री से गुजारिश है कि वह एक अपील अपने एमपी और विधायकों से पेंशन छोड़ने के लिए कर दे। जो भी सांसद विधायक पेंशन छोड़ेगा हम उसका धन्यवाद करेंगे। टिकैत ने कहा कि सरकार नए कृषि कानूनों में काला-सफेद की बात कर रही है। सरकार 15 संशोधन को तैयार है तो सरकार ने इन्हें काला तो मान ही लिया है। कौन सी चीज काली है ये सरकार ही बताए।

उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री पूछ रहे हैं कि कानून में काला क्या है तो कृषि मंत्री जो संसोधन करना चाहते हैं वह कर दे। फिर जो बचेगा उसको देखेंगे। पहले सरकार बताए कि बिल में क्या क्या काला है। उन्होंने कहा कि देश में भूख पर व्यापार नहीं होगा। देश में भूख पर व्यापार करने वालों को देश से बाहर निकाला जाएगा। जिस तरह से फ्लाइट के टिकट एक ही दिन में तीन से चार बार ऊपर नीचे होते हैं। इसी तरह से अनाज की कीमतें भी आने वाले समय पर आदमी की भूख को देखते हुए तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी है एमएसपी रहेगा कहकर उलझा रही है। हमने कब कहा कि एमएसपी खत्म हो रहा है। हम तो कह रहे कि एमएसपी पर कानून बने। एमएसपी पर कानून बनेगा तो देश के किसानों को फायदा होगा। एमएसपी पर कानून नहीं है इसलिए देश में व्यापारी किसानों को लूटता है। प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों से छोटे किसानों को फायदा होने की बात पर राकेश टिकैत ने कहा कि पहले तो सरकार ने आंदोलन को पंजाब का बताया फिर जाट का, उसके बाद इसे सिख का आंदोलन बताया। किसान कोई छोटा बड़ा किसान नहीं होता। इनका अगला एजेंडा क्या होगा पता नहीं। यह देश का किसान एक है। न कोई छोटा है न कोई बड़ा है।

देश में ऋषि और कृषि पद्धति से छेड़खानी नहीं होने दी जाएगी
राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की इस लड़ाई में संत समाज हमारे साथ खड़ा है। देश को लेकर कोई भी मामला हो पूरे संत समाज आगे आकर लड़ा है। देश में ऋषि और कृृषि पद्धति से छेड़खानी नहीं होने दी जाएगी। किसान और संत समाज इस लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ेगा। जो विश्वास किसान संगठनों पर संतों ने किया है। वह विश्वास कायम रहेगी। यह लड़ाई अंतिम दौर तक जाएगी।साभार-अमर उजाला

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