चीन ने लद्दाख बार्डर पर बढ़ाई सैनिकों की संख्या, भारत ने भी दिया करारा जवाब

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पैंगोंग सो झील और गलवान घाटी में चीनी सेना तेजी से अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रही है और इसके जरिये यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह भारतीय सेना के साथ टकराव की स्थिति शीघ्र समाप्त करने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में भारत भी चीन को करारा जवाब दे रहा है।

भारत ने निगरानी भी बढ़ाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन को करारा जवाब देने के लिए भारत ने भी लद्दाख में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों की संख्‍या बढ़ा दी है। साथ ही निगरानी और गश्‍ती भी कड़ी कर दी है। भारत ने कहा था कि चीनी सेना भारतीय सैनिकों की सामान्य गश्त में बाधा उत्पन्न कर रही है और भारत ने सीमा प्रबंधन को लेकर हमेशा दायित्वपूर्ण रवैया अपनाया है।

सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख के विभिन्न इलाकों में कई बार चीनी सैनिकों द्वारा सीमा पार करने की खबर है और दोनों सेनाओं के बीच कम से कम दो मौकों पर हाथापाई हुई। सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना भी पेंगोंग त्सो झील, गलवान घाटी और देमचौक में अपनी ताकत बढ़ा रही है। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना देमचौक और दौलत बेग ओल्डी सहित कई संवेदनशील इलाकों में आक्रामक तरीके से गश्त भी कर रही है।

चीन ने लगाए 100 टेंट
बताया जा रहा है कि चीनी पक्ष ने विशेष रूप से गलवान घाटी में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है और गत दो सप्ताह में लगभग सौ टेंट लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की कड़ी आपत्ति के बावजूद चीन क्षेत्र में बंकर बनाने के लिए आवश्यक मशीनें ला रहा है।

सेना प्रमुख ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

बढ़ते हुए तनाव के बीच भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने लेह स्थित 14वीं कोर के मुख्यालय का शुक्रवार को दौरा किया और सेना के उच्च अधिकारियों के साथ एलएसी के पास क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।

सैन्य सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग सो झील और गलवान घाटी में भारतीय सेना चीनी सेना के मुकाबले में कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में है। पूर्वी लद्दाख में पांच मई की शाम को लगभग 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद स्थिति खराब हो गई थी। इस हिंसा में सौ भारतीय और चीनी सैनिक घायल हो गए थे। उत्तरी सिक्किम में नौ मई को इसी प्रकार की घटना घटी थी।


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