शाबाश इंडिया – लॉकडाउन के बीच इस किसान ने गरीबों को भोजन के लिए दिए 50 लाख रुपए

कोरोना संक्रमण के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी गरीब परिवार के लोगों को रही है। राजस्थान के जोधपुर जिला के एक किसान राम निवास मांडा ने लॉकडाउन के दौरान गरीबों को खाना खिलाने के लिए 50 लाख रुपए की अपनी जीवन भर की कमाई दान कर दी। राम निवास मांडा जोधपुर के उम्मेदनगर गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने 83 ग्राम पंचायतों के कुल 8500 परिवारों में राशन बांटा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, क्रिकेटर विरेंद्र सहवाग और वीवीएस लक्षमण ने भी उनके इस काम की सराहना की है। 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें मेल कर गरीबों को खाना खिलाने के लिए सराहना की।

राम निवास मांडा ने कहा, ‘जब मुझे प्रधानमंत्री का मेल प्राप्त हुआ तो मेरे लिए वह क्षण रोमांच से भरा था। मैं काम में व्यस्त था, इसलिए 12 अप्रैल को उनका मेल देख पाया। इस तरह को प्रोत्साहन मुझे लोगों की मदद के लिए और प्रेरित करता है। मुझे खुली है कि मैंने सही काम किया।’

मांडा ने इस बात को खारिज कर दिया कि उनका किसी भी राजनीतिक पार्टी से संबंध है। उन्होंने कहा, ‘मेंरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। मैं किसी प्रोपेगेंडा में नहीं पड़ता। मैं सिर्फ लोगों की मदद करना चाहता हूं।’ उन्होंने अपने पिता को अपना प्रेरणाश्रोत बताया।

उन्होंने कहा, ‘जब लॉकडाउन की शुरुआत हुई, मैंने सुना कि लोग भूखे हैं। उनके पास अनाज खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। तब मैंने सोचा कि मुझे कुछ करना चाहिए और मैंने अपने पिता से बात की। वह काफी खुश हुए और उनहेंने कहा कि जरूरत के समय में हमें लोगों की मदद करनी चाहिए।’ मांडा ने कहा कि उनके पिता ने अपनी जीवन भर की कमाई सौंप दी और हम दोनों ने मिलकर कुल 50 लाख रुपए लोगों को खाना खिलाने में दिए।

उन्होंने कहा कि इसके लिए हमनें एक टीम बनाई, जिसने 83 ग्राम पंचायतों में जरूरतमंदों की लिस्ट तैयार की। मैंने उन गरीब परिवार तक पहुंचने की कोशिश की, जिन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जैसे कि दिहाड़ी मजदूर और दिव्यांग। मांडा ने बताया कि एक किट में 10 किलो आटा, एक किलो दाल, एक किलो चावल, एक किलो तेल, मसाले औ बिस्किट होते हैं, जिसकी कीमत कुल 790 रुपए है। 4-5 लोगों के परिवार में यह राशन तकरीबन आठ से दस दिनों तक चल सकता है। उन्होंने कहा कि जब वे किट बांटना शुरू किए तो कई लोग मदद के लिए सामने आए।


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