गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही प्रयागराज की मंजू, सुधरने लगी आर्थिक हालत

यूपी। उत्तर प्रदेश के कई गांवों में मूंज उत्पादों का निर्माण कुटीर उद्योग की शक्ल ले चुका है। ग्रामीण महिलाओं द्वारा मूंज से तैयार किए गए सुंदर उपयोगी सामान देश के बड़े शहरों तक पहुंच रहे हैं। उप्र सरकार की एक जनपद एक उत्पाद (वन डिस्टिक्ट वन प्रोडक्ट, ओडीओपी) योजना में मूंज शिल्प के शामिल हो जाने से इस विधा से जुड़े परिवारों में नई उम्मीद जग गई है। खास तौर पर महिलाओं के लिए यह अपने पैरों पर खड़े होने का बड़ा जरिया बनने लगा है।

प्रयागराज के नैनी क्षेत्र में मौजूद कई गांवों में महिलाएं घर बैठे मूंज के खूबसूरत उत्पाद बना रही हैं। अभी तक उनके उत्पाद की बिक्री स्थानीय बाजार में होती थी। लेकिन अब बड़ा बाजार उपलब्ध होने लगा है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार की कोशिश पर खुलने वाले कॉमन फैसिलिटी सेंटर और शोरूम से उनकी जिंदगी बदल जाएगी।

नैनी क्षेत्र के मड़ौका, पिपरसा, इंदलपुर, डांडी, महेवा पूरब पट्टी और महेवा पश्चिम पट्टी, भडऱा समेत कई गांवों में महिलाएं मूंज से ब्रेड बॉक्स से लेकर तरह-तरह के सजावटी सामान तैयार करती हैं। पहले इन्हें अपने सामानों को बेचने के लिए शहर में चौक और कोतवाली का बाजार ही उपलब्ध था। लेकिन जब से मूंज ओडीओपी में शामिल हुआ है, तब से इन्होंने सरकार की कोशिशों के बीच अपने कार्य और हुनर का दायरा बढ़ाया है।

पिकनिक बैग के लिए जनवरी 2019 में राज्य पुरस्कार पा चुकीं महेवा पूरब पट्टी की फिरोजा बेगम बताती हैं कि बाहरी जिलों के व्यापारी थोक में आर्डर देते हैं, जिसमें ज्यादा मुनाफा मिल जाता है। मुरादाबाद के एक कारोबारी ने 90 हजार का आर्डर दिया, लेकिन समय के अंदर 50 हजार का ही सामान दे पाए। सबीना, शहाना और तनीजा बताती हैं कि शादी-विवाह और त्योहार के समय महीने की बिक्री 20-25 हजार रुपये तक हो जाती है। मूंज से झोले, टोकरी, ब्रेड बॉक्स, फ्लावर पॉट, पर्स, नाइट लैंप, वॉल हैंगिंग, पेपरवेट, पेन होल्डर, टी-कोस्टर एवं अन्य घरेलू सजावटी सामान तैयार हो रहे हैं।

क्या है एक जनपद एक उत्पाद
यह उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसका उद्देश्य राज्य की उन विशिष्ट शिल्प कलाओं और उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाना है, जो देश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं। जैसे प्राचीन एवं पौष्टिक कालानमक चावल, दुर्लभ गेहूं डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों व हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य जो हाथी दांत का विकल्प है..इत्यादि। इनमें से बहुत से उत्पाद जीआइ टैग (भौगोलिक पहचान पट्टिका धारक) हैं । ये वे उत्पाद हैं, जिनसे स्थान विशेष की पहचान होती है।

प्रयागराज जिले के उद्योग उपायुक्त अजय कुमार चौरसिया ने कहा कि मूंज से बनी सामग्रियों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार शोरूम खोलने पर लोन और उस पर सब्सिडी दे रही है। इस कारोबार से जुड़े लोग खुद शोरूम खोल सकते हैं। इसमें ऐसे लोगों को शोरूम खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो सक्षम हैं। उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर भी नैनी क्षेत्र में जल्द स्थापित होगा।

(साभार-राजकुमार श्रीवास्तव)

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