आईएनएक्स मीडिया मामले में चिदम्बरम को तगड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत से किया इनकार

सर्वोच्च अदालत ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम को आईएनएक्स मीडिया घोटाले से जुड़े केस में बड़ा झटका दिया है। जस्टिस भानुमती और जस्टिस बोपन्ना की खंडपीठ ने पूर्व वित्तमंत्री की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद (Enforcement Directorate) ईडी अब पी चिदंबरम को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में ईडी की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि अगर चिदंबरम को अग्रिम जमानत सुप्रीम कोर्ट देता है तो उसके विनाशकारी परिणाम होंगे।

सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने सबूत दिखाकर बिना गिरफ्तारी पूछताछ की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि जांच कैसे हो, एजेंसी ज़िम्मेदारी से इसका फैसला लेती है। जो आरोपी आज़ाद घूम रहा है, उसे सबूत दिखाने का मतलब है बचे हुए सबूत मिटाने का न्योता देना। तुषार मेहता ने कहा था कि जांच को कैसा बढ़ाया जाए, ये पूरी तरह से एजेंसी का अधिकार है। केस के लिहाज से एजेंसी तय करती है कि किस स्टेज पर किन सबूतों को जाहिर किया जाए और किन को नहीं।

अगर गिरफ्तार करने से पहले ही सारे सबूतों, गवाहों को आरोपी के सामने रख दिया जाएगा तो ये तो आरोपी को सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और मनी ट्रेल को ख़त्म करने का मौक़ा देगा। उन्‍होंने कहा था कि पी चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि अपराध की गंभीरता ‘सब्जेक्टिव टर्म’ है। PMLA के तहत मामले उनके लिहाज से गंभीर नहीं होंगे, पर हकीकत ये है कि इस देश की अदालतें आर्थिक अपराध को गंभीर मानती रही हैं।

दरअसल, इससे पहले सिब्बल ने कहा था कि 7 साल से कम तक की सज़ा के प्रावधान वाले अपराध को CRPC के मुताबिक कम गंभीर माना जाता है। तुषार मेहता ने कहा था कि इस मामले में अपराध देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ है। ऐसे मामलों में सज़ा का प्रावधान चाहे कुछ भी हो, सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक अपराध को हमेशा गंभीर अपराध माना है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अगर ये मामला सेक्शन 45 PMLA के अंतर्गत भी नहीं आता हो तब भी ये मामला CrPC के सेक्शन 438 के अंतर्गत जरूर आता है, जिससे हमें गिरफ्तारी का हक़ मिलता है। इसके साथ ही तुषार मेहता ने सीलबंद रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी और कहा था कि कोर्ट अगर चाहे तो इसको खोल सकता है। इसके साथ ही तुषार मेहता ने अपनी बहस पूरी कर ली थी।

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