जमीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू यादव की मुश्किलें बढ़ीं, ED ने 19 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की कानूनी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें जमीन के बदले नौकरी घोटाले में 19 मार्च को पूछताछ के लिए तलब किया है। इसके अलावा, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेज प्रताप यादव को भी जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला उस कथित घोटाले से जुड़ा है, जिसमें 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव पर रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरियां देने के बदले उम्मीदवारों से जमीन और संपत्ति लेने का आरोप है। सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट के मुताबिक, इस घोटाले में मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर समेत कई रेलवे जोन शामिल थे।
पिछले साल ईडी ने दिल्ली की एक अदालत में इस मामले में चार्जशीट दायर की थी, जिसमें लालू यादव के परिवार के कई सदस्यों को आरोपी बनाया गया था। इनमें उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव, और बेटा तेज प्रताप यादव शामिल हैं।
ईडी की जांच और आरोप
ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, इस घोटाले में शामिल कुछ संपत्तियां ‘फ्रंट मैन’ के नाम पर खरीदी गईं, जबकि ए के इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और ए बी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों को ‘शेल कंपनियों’ के रूप में इस्तेमाल किया गया। इन कंपनियों के जरिए कथित रूप से लालू परिवार के सदस्यों के लिए धनशोधन किया गया।
चार्जशीट में यह भी बताया गया कि एक अन्य आरोपी हृदयानंद चौधरी, जो राबड़ी देवी की गौशाला में काम करता था, ने एक उम्मीदवार से संपत्ति प्राप्त की थी, जिसे बाद में हेमा यादव को ट्रांसफर कर दिया गया। इस तरह, जांच एजेंसी के मुताबिक, यह घोटाला एक सुव्यवस्थित तरीके से अंजाम दिया गया था।
लालू परिवार की बढ़ी मुश्किलें
इससे पहले, 11 मार्च को ईडी ने तेज प्रताप यादव और हेमा यादव को तलब किया था, जिसके बाद उन्हें 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत मिल गई थी। अब लालू प्रसाद यादव को पूछताछ के लिए बुलाए जाने से आरजेडी के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है।
ईडी द्वारा की जा रही इस पूछताछ को राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि बिहार की राजनीति में लालू यादव और उनके परिवार का महत्वपूर्ण स्थान है। सूत्रों के अनुसार, हालांकि, प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के एजेंसी के सामने पेश होने की संभावना कम है।
सीबीआई ने 78 लोगों के खिलाफ दायर की थी चार्जशीट
इससे पहले सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित 78 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस चार्जशीट में रेलवे के दो वरिष्ठ अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया था। 30 जनवरी 2025 को अदालत ने सीबीआई को पूर्व प्रशासनिक अधिकारी और रेलवे बोर्ड के तत्कालीन सदस्य आरके महाजन सहित दो अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी थी।
क्या होगा आगे?
ईडी और सीबीआई दोनों इस मामले में अपनी जांच को तेजी से आगे बढ़ा रही हैं। यदि लालू यादव और उनके परिवार के अन्य सदस्य जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है। राजनीतिक रूप से भी यह मामला आरजेडी के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन सकता है, खासकर तब जब बिहार में अगले चुनावी समीकरण बनने की प्रक्रिया चल रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 19 मार्च को लालू यादव और उनके परिवार की ओर से क्या प्रतिक्रिया आती है और क्या वे प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होंगे या नहीं।
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