ईडी की बड़ी कार्रवाई, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ठिकानों पर छापेमारी

छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई, जिसमें भिलाई सहित कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया गया।
ईडी की छापेमारी और भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया
ईडी की टीम ने सुबह-सुबह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास पर पहुंचकर तलाशी अभियान शुरू किया। भूपेश बघेल के कार्यालय की ओर से इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया गया, “सात वर्षों से चले आ रहे झूठे केस को जब अदालत में बर्खास्त कर दिया गया, तो आज ईडी के मेहमानों ने कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई निवास में प्रवेश किया है। अगर इस षड्यंत्र से कोई कांग्रेस को रोकने का प्रयास कर रहा है, तो यह गलतफहमी है।”
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
ईडी का दावा है कि छत्तीसगढ़ में 2019 से 2023 के बीच शराब सिंडिकेट ने करीब 2,100 करोड़ रुपये की हेराफेरी की, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। इस मामले में पहले ही कई व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कैसे हुआ घोटाला?
ईडी की जांच में सामने आया कि घोटाले को आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने अंजाम दिया था। आरोप है कि सरकारी शराब की दुकानों के जरिए देशी शराब की बेहिसाब बिक्री की गई और डिस्टिलर्स से भारी रिश्वत ली गई।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और ईडी की कार्रवाई
गौरतलब है कि पिछले वर्ष 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसमें कोई अपराध की आय नहीं थी। इसके बावजूद ईडी इस मामले की जांच जारी रखे हुए है।
राजनीतिक हलचल और संभावित प्रभाव
इस छापेमारी से छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस इसे केंद्र सरकार की ओर से बदले की भावना से की गई कार्रवाई बता रही है, जबकि भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया गया कदम बता रही है।
इस छापेमारी के बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया है और आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ईडी की इस कार्रवाई के आगे क्या नई जानकारियां सामने आती हैं और इससे छत्तीसगढ़ की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।
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