CBI की बड़ी सफलता: 150 करोड़ के घोटालेबाज भगोड़े अब कानून के शिकंजे में

भारत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अंतरराष्ट्रीय अपराधियों को पकड़ने में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। इंटरपोल रेड नोटिस के तहत थाईलैंड से दो वांछित भगोड़ों को भारत निर्वासित किया गया है। ये दोनों आरोपी अलग-अलग मामलों में तमिलनाडु और गुजरात पुलिस को वांछित थे। सीबीआई ने इस ऑपरेशन का समन्वय किया, जिससे दोनों अपराधियों को भारतीय न्याय प्रणाली के अधीन लाया जा सका।
जनार्दन सुंदरम: 87 करोड़ रुपये की पोंजी स्कीम धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड
इनमें से एक भगोड़ा जनार्दन सुंदरम है, जिस पर पोंजी योजना के जरिए निवेशकों से 87 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है। तमिलनाडु पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के अनुसार, सुंदरम ने एक अवैध निवेश योजना चलाई, जिसमें उसने लोगों से बड़े पैमाने पर धन इकट्ठा किया और उन्हें आकर्षक रिटर्न का झांसा दिया। जब निवेशकों ने अपने धन की वापसी की मांग की, तो वह फरार हो गया।
सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि तमिलनाडु पुलिस के अनुरोध पर 21 जून 2023 को इंटरपोल से उसके खिलाफ रेड नोटिस जारी करवाया गया था। इसके आधार पर, 28 जनवरी 2025 को जब सुंदरम बैंकॉक की यात्रा करने के लिए पहुंचा, तो उसे थाईलैंड में प्रवेश देने से मना कर दिया गया और तुरंत भारत भेज दिया गया। कोलकाता हवाई अड्डे पर पहुंचते ही तमिलनाडु पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।
जनार्दन सुंदरम के खिलाफ विभिन्न गंभीर आरोप हैं, जिनमें आपराधिक षड्यंत्र, आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी, जमा/ब्याज के पुनर्भुगतान में चूक और अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम, 2019 के तहत मामले दर्ज हैं।
वीरेंद्रभाई मणिभाई पटेल: 77 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोपी
इस ऑपरेशन के तहत भारत लाए गए दूसरे भगोड़े का नाम वीरेंद्रभाई मणिभाई पटेल है, जो जालसाजी और आपराधिक साजिश के मामलों में वांछित था। गुजरात पुलिस ने 2002 में उसके खिलाफ केस दर्ज किया था, जिसमें आपराधिक साजिश, दस्तावेजों की जालसाजी, जाली दस्तावेज़ का उपयोग, धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति हड़पने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। वीरेंद्रभाई पटेल पर 77 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है।
सीबीआई ने गुजरात पुलिस के अनुरोध पर इंटरपोल से उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया था। इसके बाद, अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पटेल के खिलाफ कई वर्षों से मामला लंबित था, लेकिन अब उसके प्रत्यर्पण से गुजरात पुलिस को जांच को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सीबीआई की सफलता और इंटरपोल का सहयोग
यह ऑपरेशन भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों और इंटरपोल के बीच बेहतरीन समन्वय का उदाहरण है। इंटरपोल रेड नोटिस एक प्रभावी उपकरण साबित हो रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भगोड़ों की पहचान और गिरफ्तारी संभव हो पा रही है।
सीबीआई ने इस अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम देकर यह साबित किया है कि आर्थिक अपराधियों को अब बचकर निकलना आसान नहीं होगा। यह कार्रवाई अन्य फरार अपराधियों के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि वे कितनी भी दूर भाग जाएं, भारतीय एजेंसियां उन्हें कानून के कटघरे में खड़ा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जनार्दन सुंदरम और वीरेंद्रभाई मणिभाई पटेल जैसे आर्थिक अपराधी वर्षों तक कानून से बचते रहे, लेकिन इंटरपोल और सीबीआई के संयुक्त प्रयासों से उन्हें आखिरकार भारत लाया गया। यह ऑपरेशन न केवल भारतीय एजेंसियों की दक्षता को दर्शाता है, बल्कि भविष्य में अन्य भगोड़ों को पकड़ने के लिए भी एक मिसाल बन सकता है। इन कार्रवाइयों से निवेशकों को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ी है और भारत सरकार की आर्थिक अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मंशा भी स्पष्ट हुई है।
Exit mobile version