रंग, रसिया व प्रेम की बौछार, बरसाने की लठामार होली अपार

होली का त्यौहार भारत में विशेष उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, लेकिन यदि कहीं इसका सबसे रंगीन और अनूठा रूप देखने को मिलता है, तो वह है बरसाना की लठमार होली। हर साल लाखों श्रद्धालु इस अद्भुत आयोजन के साक्षी बनने के लिए यहां पहुंचते हैं। रंग, गुलाल, हंसी-ठिठोली और परंपरागत रस्मों के इस अद्भुत संगम को देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं।
घूंघट की ओट से लाठियों की तड़तड़ाहट
बरसाना में जब लठमार होली का आयोजन होता है, तो समूचा वातावरण रंगों की मस्ती में डूब जाता है। हुरियारों की टोली जब रंग-गुलाल उड़ाते हुए आगे बढ़ती है, तो हुरियारिन भी पूरे जोश के साथ उन्हें गुलाल उड़ेलने और लाठियों की बरसात करने में पीछे नहीं रहतीं।
घूंघट की ओट से लाठियां चलाने की यह परंपरा वर्षों पुरानी है, जिसे देखने के लिए अपार भीड़ उमड़ती है। चारों तरफ रंगों की बौछार और हुरियारिनों की मीठी गालियां माहौल को और अधिक होलीमय बना देती हैं। आसमान भी सतरंगी गुलाल से रंगीन हो जाता है। इस अद्भुत नज़ारे का आनंद उठाने के लिए लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
रंगों में सराबोर बरसाना
इस बार लठमार होली मेले में भीड़ ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते बरसाना में तीन किलोमीटर लंबा मार्ग खचाखच भरा रहा। सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन ने वाहनों के आवागमन को नियंत्रित कर दिया।
बरसाना और नंदगांव के बीच इस प्रेमपूर्ण और रोचक होली की परंपरा को निभाने के लिए विशेष तैयारियां की गईं। बरसाना की हुरियारिनें पूरी तरह से तैयार थीं, और नंदगांव के हुरियारे भी इस अनोखी परंपरा का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित थे।
नंदगांव से होली का न्योता
शुक्रवार सुबह, जब नंदगांव की सखियां होली खेलने का आमंत्रण लेकर बरसाना पहुंचीं, तो पूरे बरसाना में उत्सव की धूम मच गई। नंदगांव से आए प्रतिनिधि ने जब होली खेलने की घोषणा की, तो बरसाना के हुरियारों ने तुरंत तैयारियां शुरू कर दीं। हुरियारिनों ने अपनी ढालों को तेल से चिकना किया ताकि हुरियारों पर लाठी बरसाने में कोई कमी न रह जाए।
श्रद्धालु इस होली के हर पल का आनंद लेने के लिए नंदगांव पहुंच गए। वहां मंदिर में भक्तों पर टेसू के फूलों से बना रंग बरसाया गया, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।
राधा की सखियों का आगमन
राधा की सखियां जब होली खेलने का निमंत्रण लेकर नंदभवन पहुंचीं, तो वहां उनका भव्य स्वागत किया गया। वृंदावन की रहने वाली राधा दासी सखियां लाडली जी मंदिर पहुंचीं, जहां सोलह श्रृंगार कर उन्हें होली के रंग में रंगा गया।
मंदिर सेवायतों ने उन्हें गुलाल, इत्र, बीड़ा और प्रसाद भेंट किया। ढोल-नगाड़ों की धुन पर नाचते-गाते ये सखियां नंदभवन पहुंचीं और कन्हैया से होली खेलने की अनुमति मांगी। इस दौरान समाज गायन हुआ और फिर भक्तों पर टेसू के फूलों से बना रंग बरसाया गया। इस आयोजन के लिए पांच कुंतल फूलों से रंग तैयार किया गया था।
नंदगांव में भी होली की धूम
नंदगांव में जब होली का न्योता मिला, तो वहां भी हर्ष और उल्लास की लहर दौड़ गई। नंदभवन मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया। जब राधा सखियां वहां पहुंचीं, तो पूरा माहौल होलीमय हो गया।
मंदिर सेवायतों ने उन्हें विशेष सामग्री भेंट की, जिसे नंदबाबा के चरणों में अर्पित किया गया। इसके बाद घंटी, रसिया गायन और नृत्य का आयोजन हुआ। फाग निमंत्रण उत्सव में राधारमण गोस्वामी, केदार गोस्वामी, मुकेश गोस्वामी, विक्रमवेद, ललित गोस्वामी सहित कई संगीताचार्यों ने अपनी प्रस्तुतियों से वातावरण को संगीतमय बना दिया।
लठमार होली का रोमांच
रंगीली गली में जब हुरियारों और हुरियारिनों का आमना-सामना हुआ, तो हास-परिहास और हंसी-ठिठोली के बीच लठमार होली की शुरुआत हुई। हुरियारिनों ने पूरी ताकत से लाठियां बरसाईं, और हुरियारे उन्हें बचते-बचाते आगे बढ़े। यह नज़ारा देखने लायक था, जिसमें प्रेम, रंग और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला।
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