प्रयागराज महाकुंभ 2025: 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

प्रयागराज: भारत की सनातन संस्कृति, आध्यात्मिकता और एकात्मता के जीवंत प्रतीक महाकुंभ 2025 में एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को घोषणा की कि प्रयागराज महाकुंभ में अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। यह संख्या किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजन में मानव इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी सहभागिता बन चुकी है।
50 करोड़ का आंकड़ा पार, आस्था का महासंगम
13 जनवरी से आरंभ हुए इस दिव्य-भव्य आयोजन ने 34 दिनों में ही 50 करोड़ श्रद्धालुओं की संख्या को पार कर लिया है। अभी महाकुंभ का समापन होने में 11 दिन शेष हैं, और एक महत्वपूर्ण स्नान पर्व अभी भी बाकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस उपलब्धि पर संत समाज, कल्पवासियों, तीर्थयात्रियों, स्थानीय प्रशासन और सभी सहयोगियों को हार्दिक बधाई दी है।
उन्होंने अपने संदेश में लिखा, “भारत की आध्यात्मिकता, एकात्मता, समता और समरसता के प्रतीक महाकुंभ प्रयागराज में अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। यह सनातन संस्कृति के प्रति दृढ़ आस्था का परिचायक है और वास्तविक अर्थों में भारत की लोक आस्था का यह अमृतकाल है।”
भारत की जनसंख्या के आधे से अधिक श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल
भारत की कुल जनसंख्या में 110 करोड़ नागरिक सनातन धर्म को मानते हैं, और उनमें से 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर सनातन धर्म की विराटता को विश्व पटल पर स्थापित कर दिया है। इस आयोजन की भव्यता का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दुनिया के अधिकांश देशों की कुल जनसंख्या से अधिक है। केवल भारत और चीन ही ऐसे दो देश हैं, जिनकी जनसंख्या महाकुंभ में शामिल श्रद्धालुओं से अधिक है।
महत्वपूर्ण स्नान पर्वों पर विशाल जनसैलाब
अब तक के आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न प्रमुख स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई:
मौनी अमावस्या – 8 करोड़ श्रद्धालु
मकर संक्रांति – 3.5 करोड़ श्रद्धालु
वसंत पंचमी – 2.57 करोड़ श्रद्धालु
माघी पूर्णिमा – 2 करोड़ से अधिक श्रद्धालु
पौष पूर्णिमा – 1.7 करोड़ श्रद्धालु
30 जनवरी व 1 फरवरी – 2-2 करोड़ से अधिक श्रद्धालु
संगम में डुबकी का महत्व
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में स्नान को मोक्षप्राप्ति और पापों के क्षय के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस मान्यता के कारण देशभर से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचते हैं।
योगी सरकार की भव्य योजना और सफल आयोजन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने महाकुंभ 2025 को अभूतपूर्व और सुव्यवस्थित बनाने के लिए विशेष तैयारियां की थीं। सुरक्षा, स्वच्छता, परिवहन, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों ने अभूतपूर्व समन्वय दिखाया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “महाकुंभ मानवता का महोत्सव है, और इसके सफल आयोजन में योगदान देने वाले महाकुंभ मेला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन, स्वच्छताकर्मी, स्वयंसेवी संगठन, धार्मिक संस्थाएं, नाविक और केंद्र तथा राज्य सरकार के सभी विभागों को हृदय से साधुवाद।”
महाकुंभ बना सनातन धर्म का वैश्विक प्रतीक
महाकुंभ अब केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह सनातन धर्म के विराट स्वरूप का प्रतीक बन चुका है। इसकी भव्यता, दिव्यता और श्रद्धालुओं की संख्या ने पूरी दुनिया को चकित कर दिया है। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान जताया था, जो 11 फरवरी तक ही सच हो गया। अब यह संख्या 55 से 60 करोड़ तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।
महाकुंभ का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
प्रयागराज महाकुंभ विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसकी जड़ें हजारों वर्ष पुरानी हैं। यह महापर्व हर 12 साल में संगम तट पर आयोजित होता है और इस दौरान भारत के कोने-कोने से संत, महंत, धर्माचार्य, साधु-संत और आमजन एक साथ आस्था की डुबकी लगाते हैं। इस वर्ष की अभूतपूर्व श्रद्धालु संख्या इसे इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज कर चुकी है।
संन्यासियों, कल्पवासियों और श्रद्धालुओं का अद्वितीय समागम
महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत, नागा साधु, संन्यासी, तपस्वी, और साधक विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होते हैं। साथ ही, कल्पवास करने वाले श्रद्धालु यहां महीने भर संगम तट पर रहकर तप, साधना और ध्यान में लीन रहते हैं। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति और परंपराओं की अद्वितीय झलक है।
महाकुंभ 2025: आस्था, एकता और संस्कृति का महासंगम
महाकुंभ 2025 में 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की सहभागिता ने यह साबित कर दिया कि यह आयोजन केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि यह पूरे विश्व के लिए आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का प्रतीक बन चुका है। आने वाले दिनों में यह संख्या और भी बढ़ने की पूरी संभावना है, जिससे यह आयोजन विश्व इतिहास में अमर हो जाएगा।
महाकुंभ में डुबकी लगाने वाले सभी श्रद्धालुओं को बधाई और आने वाले स्नान पर्वों के लिए शुभकामनाएं। भगवान तीर्थराज प्रयाग सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करें!
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