तीर्थराज प्रयाग में महाकुंभ: महास्नान के लिए उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

जीवनदायिनी गंगा, श्यामल यमुना, और पौराणिक सरस्वती के पावन संगम में महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान पर्व पर आस्था का महासागर उमड़ पड़ा। पौष पूर्णिमा स्नान के साथ मंगलवार से शुरू हुए मकर संक्रांति के इस महास्नान में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे।
आस्था और परंपराओं का संगम
महाकुंभ मेले में सदियों पुरानी मान्यताओं का पालन करते हुए महानिर्वाणी अखाड़े के साधु-संतों ने शाही स्नान के साथ अमृत स्नान की शुरुआत की। मकर संक्रांति पर सबसे पहले श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने अमृत स्नान किया। इसके बाद श्रीतपोनिधि पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़ा और श्रीपंचायती आनंद अखाड़ा ने संगम में डुबकी लगाई।
तीन प्रमुख संन्यासी अखाड़ों में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, श्रीपंच दशनाम आवाहन अखाड़ा, और श्रीपंचाग्नि अखाड़ा के नागा साधुओं ने अपने शाही स्वरूप में भाला, त्रिशूल, और तलवारों के साथ स्नान किया। घोड़ों और रथों पर सवार साधुओं की शोभायात्रा ने पूरे क्षेत्र को भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
नागा साधुओं की युद्ध कला और भक्ति का प्रदर्शन
अमृत स्नान के दौरान नागा साधुओं ने भाला, तलवार और त्रिशूल के साथ युद्धकला का अद्भुत प्रदर्शन किया। यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए आस्था और रोमांच से भरा हुआ था। लाखों श्रद्धालु साधुओं की भक्ति और शौर्य के इस संगम को देखने के लिए उमड़ पड़े।
श्रद्धालुओं का संगम तट की ओर रुख
संगम तट पर आस्था ऐसी उमड़ी कि श्रद्धालु रातभर गंगा में डुबकी लगाते रहे। बुजुर्ग, महिलाएं, और युवा—सभी सिर पर गठरी, कंधे पर झोला, और हाथों में बच्चों को थामे संगम की ओर बढ़ते दिखे। हर-हर महादेव और जय श्रीराम के जयघोष से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा।
व्यवस्थित आयोजन और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
महाकुंभ मेला प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के लिए व्यापक इंतजाम किए। हर मार्ग पर बैरिकेडिंग लगाई गई, और वाहनों की गहन जांच के बाद ही प्रवेश की अनुमति दी गई। 12 किमी में फैले स्नान घाटों पर पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती से आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा।
मेला क्षेत्र में डीआईजी कुंभ मेला वैभव कृष्ण और एसएसपी राजेश द्विवेदी की निगरानी में पुलिस बल ने पैदल मार्च कर अखाड़ों और श्रद्धालुओं को संगम तट तक सुरक्षित पहुंचाया।
संगम तट: आस्था का अटूट प्रवाह
संगम के 44 स्नान घाटों पर श्रद्धालुओं का ऐसा जनसैलाब उमड़ा कि पवित्र त्रिवेणी के तट पर तिल रखने की भी जगह नहीं बची। जय गंगा मैया और हर-हर महादेव के गगनभेदी जयघोष के बीच श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाते हुए पुण्य अर्जित कर रहे थे।
दान का महत्व और शुभ परंपराएं
पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार, मकर संक्रांति पर स्नान के बाद दान करना अत्यंत शुभ होता है।
दान में क्या दें: गरीबों को भोजन, कंबल, खिचड़ी, तांबा, और स्वर्ण का दान करें।
क्या न दें: लोहे और उड़द का दान वर्जित है।
इस दान से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पुण्य लाभ मिलता है।
महाकुंभ: आस्था का महामेला
महाकुंभ के महास्नान में श्रद्धालुओं के इस सागर ने प्रयागराज को एक बार फिर धर्म, भक्ति, और आस्था का केंद्र बना दिया। संगम तट पर उमड़े जनसमूह ने मकर संक्रांति के इस पावन पर्व को एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव में बदल दिया।
हर-हर गंगे! जय श्रीराम! हर-हर महादेव!
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