महाकुंभ 2025: प्रयागराज में स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल का आगमन

प्रयागराज का महाकुंभ
दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में शुमार प्रयागराज का महाकुंभ इस बार न केवल भारतीय परंपराओं और आध्यात्मिकता का प्रतीक बनेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का केंद्र होगा। इस आयोजन में दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शामिल और एपल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स की उपस्थिति इसे और भी खास बना रही है।
लॉरेन पॉवेल का भारतीय संस्कृति से जुड़ाव
लॉरेन पॉवेल का भारतीय आध्यात्मिकता और परंपराओं के प्रति गहरा लगाव है। वे प्रयागराज के महाकुंभ में भाग लेने के लिए 13 जनवरी को भारत आएंगी। आध्यात्मिक गुरु और निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ने बताया कि लॉरेन उनके निमंत्रण पर आ रही हैं। स्वामी जी ने उन्हें अपनी ‘शिष्या बेटी’ कहा और बताया कि उन्होंने लॉरेन को ‘कमला’ नाम दिया है।
लॉरेन की यह दूसरी भारत यात्रा है। वे महाकुंभ में 17 दिनों तक साधुओं के साथ रहकर साधारण जीवन बिताएंगी और सनातन परंपराओं को करीब से समझने का प्रयास करेंगी। इस दौरान वे निरंजनी अखाड़े के शिविर में ठहरेंगी और कथा की पहली यजमान बनने का भी सौभाग्य प्राप्त करेंगी।
लॉरेन की विशेष तैयारियां
लॉरेन पॉवेल के लिए विशेष महाराजा डीलक्स कॉटेज तैयार किए गए हैं। वे महाकुंभ में साधुओं, संतों और आध्यात्मिक गुरुओं से मिलेंगी। साथ ही, सनातन धर्म की गहराइयों को समझने के लिए कथा और अखाड़ों के धार्मिक आयोजनों में भाग लेंगी। स्वामी कैलाशानंद ने यह भी संकेत दिया कि उन्हें अखाड़े की पेशवाई में भी शामिल किया जा सकता है।
स्टीव जॉब्स और भारतीय परंपरा
स्टीव जॉब्स का भारतीय आध्यात्मिकता और सनातन परंपरा के प्रति लगाव किसी से छिपा नहीं है। 1974 में वे बाबा नीम करोली महाराज के आश्रम में आए थे और उनकी शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित हुए। परमहंस योगानंद की पुस्तक ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी’ ने उनके जीवन को नई दिशा दी। यह पुस्तक जॉब्स की पसंदीदा थी और वे इसे अक्सर दूसरों को उपहार स्वरूप दिया करते थे।
महाकुंभ: वैश्विक आध्यात्मिकता का संगम
महाकुंभ केवल एक धार्मिक मेला नहीं है, यह भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक है। लाखों भक्त और साधु-संत यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति पाने और आशीर्वाद लेने आते हैं। लॉरेन पॉवेल जैसी वैश्विक शख्सियत का इस आयोजन में भाग लेना यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रभाव अब केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्व स्तर पर भी सराहनीय है।
महाकुंभ में लॉरेन का योगदान
लॉरेन की उपस्थिति न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह संदेश देती है कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता ने सीमाओं को पार करते हुए पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। लॉरेन का महाकुंभ में आना और साधुओं के साथ समय बिताना, भारतीय परंपराओं और जीवनशैली के प्रति उनकी गहरी रुचि को दर्शाता है।
समाप्ति विचार
प्रयागराज का महाकुंभ 2025 भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक ऐसा मंच है, जहां परंपराओं और आधुनिकता का संगम देखने को मिलेगा। लॉरेन पॉवेल जॉब्स का आगमन इस आयोजन को और भी खास बनाएगा और यह साबित करेगा कि भारतीय आध्यात्मिकता और संस्कृति की चमक पूरी दुनिया को आकर्षित कर रही है।
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