वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार कुलदीप तलवार का निधन: पत्रकारिता व साहित्य का अनमोल सितारा अस्त हुआ

वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार और समाज के दर्पण के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले कुलदीप तलवार का 90 वर्ष की उम्र में शुक्रवार सुबह 10:30 बजे निधन हो गया। उन्होंने गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल में अंतिम सांस ली। 26 नवंबर को पैर की हड्डी टूटने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं हो सका।
पत्रकारिता की अनमोल धरोहर
कुलदीप तलवार ने हिंदी और उर्दू पत्रकारिता में एक नई परंपरा स्थापित की। उन्होंने लंबे समय तक कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेखन कार्य किया और अमर उजाला के संपादकीय पृष्ठ पर उनके विचार पाठकों को राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं से जोड़ते रहे। विशेष रूप से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और पड़ोसी देशों की राजनीति पर उनकी पैनी नजर रही। उनके लेखों के जरिए पाठक पड़ोसी देशों की जटिल राजनीतिक गतिविधियों को सरलता और स्पष्टता से समझ पाते थे।
जीवन का संघर्ष और नई शुरुआत
16 नवंबर 1934 को पाकिस्तान के खुशाब (सरगोधा) में जन्मे कुलदीप तलवार का जीवन संघर्षों और साहस का प्रतीक रहा। 1947 में विभाजन के बाद उनका परिवार गाजियाबाद आकर बस गया। प्रारंभिक समय में वे बजरिया की ‘कीर्तन वाली गली’ में शरणार्थी क्वार्टर में रहे। छह भाई-बहनों में दूसरे स्थान पर होने के बावजूद उन्होंने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा के साथ निभाया।
विविधता से भरा साहित्यिक और पत्रकारिता सफर
पत्रकारिता में आने से पहले तलवार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में महाप्रबंधक के रूप में सेवा दी। अपने प्रशासनिक कौशल और नेतृत्व से उन्होंने संगठन को नई दिशा दी। नौकरी के साथ-साथ लेखन का सिलसिला जारी रखते हुए उन्होंने ब्लिट्ज और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे अखबारों में समसामयिक विषयों पर लेख लिखे। उनकी लेखनी में गहराई और दृष्टिकोण का संतुलन था, जो समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया।
परिवार और व्यक्तिगत जीवन
कुलदीप तलवार अपने पीछे एक बेटा रजत तलवार और बेटी एकता तलवार छोड़ गए हैं। उनकी पत्नी, जो दिल्ली के राजकीय कॉलेज में संस्कृत की शिक्षिका थीं, का दो वर्ष पूर्व निधन हो गया था। उनके परिवार ने हमेशा उनके आदर्शों और मूल्यों का सम्मान किया।
साहित्य और समाज में शोक की लहर
तलवार के निधन से साहित्य और पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। वरिष्ठ साहित्यकार आलोक यात्री ने कहा कि कुलदीप तलवार जैसे लेखक और पत्रकार का जाना एक युग के समाप्त होने जैसा है। उनके अंतिम संस्कार के समय अशोक नगर स्थित उनके निवास पर बड़ी संख्या में शोक संवेदना प्रकट करने वाले लोग उपस्थित रहे। शाम को हिंडन श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया, जहां उनके बेटे रजत तलवार ने उन्हें मुखाग्नि दी।
एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
कुलदीप तलवार ने अपने जीवन में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन कर्मयोगी की तरह किया। उनकी लेखनी, भाषा पर गहरी पकड़, और सटीक दृष्टिकोण आज भी पत्रकारिता के क्षेत्र में एक प्रेरणा हैं। उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन उनकी सफलता यह सिखाती है कि समर्पण और मेहनत से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
कुलदीप तलवार जैसे व्यक्तित्व की स्मृति हमेशा जीवंत रहेगी। उनके लेख और विचार आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।
Exit mobile version