वसुंधरा में 300 करोड़ की भूमि मुक्त, झुग्गियों पर चला बुलडोजर

गाजियाबाद:- वसुंधरा सेक्टर-3 और 4 में आवास विकास परिषद ने 300 करोड़ रुपये मूल्य की लगभग 20 हजार वर्ग मीटर भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया। गुरुवार को भारी पुलिस बल और चार बुलडोजरों के साथ यह बड़ी कार्रवाई की गई। झुग्गियों को हटाते समय क्षेत्र में हंगामा भी हुआ, लेकिन प्रशासन की सख्ती के आगे विरोध शांत हो गया।
झुग्गियों पर कार्रवाई के बाद उठे सवाल
इस अभियान के दौरान सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर भूमि पर कब्जे को रोकने के लिए शुरुआत में ही सख्त कदम क्यों नहीं उठाए गए। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि आवास विकास परिषद ने झुग्गियों को बसने की छूट दी, जिससे ये बस्तियां पिछले 20 वर्षों से यहां बसी हुई थीं।
600 करोड़ की भूमि पर अवैध कब्जा
वसुंधरा सेक्टर-3 और 4 में आवास विकास परिषद की 40,000 वर्ग मीटर भूमि है, जिसकी कुल कीमत लगभग 600 करोड़ रुपये है। इस पर एक हजार से अधिक झुग्गियां बसी थीं। परिषद को इन झुग्गियों को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं।
कार्रवाई से पहले नोटिस और मुनादी
अधिकारियों ने बताया कि झुग्गीवासियों को पहले नोटिस जारी किया गया था और मुनादी कराकर भूमि खाली करने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके, जब लोगों ने स्वयं से स्थान नहीं छोड़ा, तो गुरुवार को परिषद ने सख्त कार्रवाई की।
झंडों को हटाकर शुरू हुई कार्रवाई
कार्यवाही के दौरान धार्मिक और राष्ट्रीय ध्वजों को पहले हटाया गया, ताकि किसी प्रकार का विवाद न हो। इसके बाद चार बुलडोजरों ने झुग्गियों को ध्वस्त करना शुरू किया। कार्रवाई के दौरान महिलाओं और स्थानीय निवासियों ने हंगामा किया, लेकिन पुलिस की सख्ती के चलते स्थिति नियंत्रण में आ गई।
लोगों का आरोप और प्रशासन का पक्ष
झुग्गीवासियों ने आवास विकास परिषद पर आरोप लगाया कि उन्हें पहले यहां बसने की छूट दी गई थी। अब 20 वर्षों बाद उन्हें अचानक हटाया जा रहा है। वहीं, परिषद के अधीक्षण अभियंता अजय कुमार ने कहा, “हमने सभी प्रक्रियाओं का पालन किया। नोटिस और मुनादी के बाद ही कार्रवाई की गई। हर समय पुलिस उपलब्ध नहीं रहती, इसलिए बड़ी कार्रवाई के लिए उचित समय पर योजना बनानी पड़ती है।”
अभी 300 करोड़ की भूमि बची कब्जे में
गुरुवार को 20 हजार वर्ग मीटर भूमि कब्जा मुक्त करा ली गई है। शेष 20 हजार वर्ग मीटर भूमि, जिसकी कीमत भी 300 करोड़ रुपये है, को शुक्रवार को खाली कराया जाएगा।
इस कार्रवाई ने न केवल प्रशासन की सख्ती को दिखाया, बल्कि यह भी सवाल खड़े किए कि ऐसी समस्याओं को जड़ से रोकने के लिए ठोस कदम समय रहते क्यों नहीं उठाए जाते। इससे बचने के लिए आवास विकास परिषद और अन्य संबंधित विभागों को जमीन पर अवैध कब्जे के मामलों पर पहले से निगरानी करनी होगी।
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