सिद्धारमैया को HC का झटका: गवर्नर की जांच को मिली मंजूरी, जमीन घोटाले में बढ़ा संकट

बेंगलुरु:- राजनीतिक पारा एक बार फिर चढ़ गया है, जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को हाई कोर्ट से एक महत्वपूर्ण झटका लगा। कोर्ट ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के लैंड स्कैम से जुड़े मामले में गवर्नर थावरचंद गहलोत के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में तथ्यों की गहन जांच आवश्यक है और राज्यपाल को अभियोजन की मंजूरी देने का पूरा अधिकार है।
लैंड स्कैम का नाटक
यह मामला 5000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है, जिसमें आरोप है कि सिद्धारमैया ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए निर्धारित भूमि का अवैध रूप से लाभ उठाया। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सिद्धारमैया का पद पर बने रहना सही है या नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घोटाला सिद्धारमैया के परिवार और करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था।
MUDA की भूमिका
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) कर्नाटक की प्रमुख विकास एजेंसी है, जो किफायती आवास की उपलब्धता सुनिश्चित करती है। 2009 में शुरू की गई 50:50 योजना के तहत, भूमि खोने वाले लोगों को विकसित भूमि का 50 प्रतिशत देने का प्रावधान था। हालांकि, 2020 में भाजपा सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया, लेकिन आरोप है कि MUDA ने इसके बावजूद भूमि का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा।
पार्वती का नाम और विवाद
इस विवाद में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती का नाम भी सामने आया है। उनकी 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि MUDA द्वारा अधिग्रहित की गई है, जिससे सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री ने इस योजना का लाभ अपने परिवार के लिए उठाया। यह मामला न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर रहा है, बल्कि सिद्धारमैया की छवि पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
आम जनता का विश्वास
इस लैंड स्कैम ने न केवल सिद्धारमैया की प्रतिष्ठा को चुनौती दी है, बल्कि आम लोगों के विश्वास को भी हिला दिया है। चुनावों के नजदीक, यह मामला कर्नाटक की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। अब देखना यह होगा कि सिद्धारमैया इस मुश्किल घड़ी से कैसे निपटते हैं और क्या कांग्रेस पार्टी इस संकट का सामना करने में सफल होगी।
कर्नाटक की राजनीति में आने वाले दिनों में यह मामला कई मोड़ों का सामना कर सकता है, और राजनीतिक बिसात पर यह खेल किस दिशा में जाएगा, यह अभी देखना बाकी है।
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