जब खुद की करनी हो बुरी, तो दूसरों को उपदेश देने का क्या हक

ईरान:- वरिष्ठ नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हाल ही में भारत के मुसलमानों पर जुल्म का आरोप लगाते हुए विवादित बयान दिया, जिसने उन्हें व्यापक विरोध का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया। भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने इस बयान को “हास्यास्पद और पाखंडपूर्ण” करार देते हुए कहा कि यह एक कट्टरपंथी नेता की दुस्साहसिकता है, जो दूसरों को उपदेश देने की कोशिश कर रहा है जबकि वह खुद अपने ही देश में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने भी कड़ा जवाब देते हुए खामेनेई को उनके खुद के हालात पर ध्यान देने की नसीहत दी। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ऐसे नेताओं को पहले अपने रिकॉर्ड पर विचार करना चाहिए, जो खुद मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।
यह स्थिति न केवल ईरान की आंतरिक समस्याओं को उजागर करती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों और स्वतंत्रता की आवश्यकता को भी प्रमुखता देती है। खामेनेई का बयान और इसके खिलाफ उठे स्वर यह साबित करते हैं कि जबरन पहचान को दबाने की कोशिशों का सामना किया जाएगा। इस तरह की चर्चाओं से यह स्पष्ट होता है कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता आवश्यक है।
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