उत्तराखंड। यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा से पोलगांव तक बन रहे 4.5 किमी टनल धंसने से फंसे 40 मजदूरों को बचाने के लिए सात दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। रेस्क्यू ऑपरेशन की मानीटरिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिए कि मजदूरों को रेस्क्यू में किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। ऑगर मशीन से रेस्क्यू करने में थोड़ी दिक्कत आ रही है। मालवा गिरने से रेस्क्यू कर्मियों को दिक्कत हो रही है। टनल में फंसे सभी मजदूरों के स्वस्थ होने का रेस्क्यू कर्मी दावा कर रहे हैं। रेस्क्यूकर्मियों ने बताया कि सभी मजदूरों को पानी, खाना, ऑक्सीजन और कुछ महत्वपूर्ण दवाइयां पाइपलाइन के जरिए भेजी जा रही हैं। रेस्क्यू को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड ने प्रेस रिलीज जानकारी देते हुए बताया कि ड्रिलिंग का काम कर रही ऑगर मशीन की बेयरिंग में खराबी आ गई है। जिसके चलते काम रुक गया है। वहीं, एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि मशीन चलने से हो रहे कंपन के कारण सतह का संतुलन बिगड़ रहा है। जिससे मलबा गिरने का खतरा है। इसी लिए बीच में काम रोकने का निर्णय लिया गया है। एनएचआईडीसीएल टनल परियोजना निदेशक अंशू मनीष खलको ने कहा अमेरिकी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम किया गया है। सुरंग के अंदर 1750 हार्स पॉवर की ऑगर मशीन के चलने से कंपन हो रहा है। जिससे सतह का संतुलन बिगड़ रहा है। इसके चलते मलबा गिरने का खतरा है। इसे ध्यान में रखते हुए अब बीच में कुछ समय रुकेंगे और फिर काम शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि हम 24 मीटर अंदर तक पहुंच गए हैं जो एक अच्छी स्थिति है। हम जल्द से जल्द दूसरे छोर तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। हम इंदौर से एक और मशीन एयरलिफ्ट कर रहे हैं।
पाइप करीब 25 मीटर तक डाला गयाः मुख्यमंत्री
उत्तरकाशी टनल हादसे पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा वहां पर इंजीनियर और वैज्ञानिक हर कोई काम कर रहा है। पाइप करीब 25 मीटर तक डाला गया है। काम बहुत तेजी से चल रहा है। पीएम मोदी लगातार इसकी समीक्षा कर रहे हैं। मलबा गिरने की वजह से थोड़ी दिक्कत आ रही है हमारा प्रयास है कि जल्दी सभी मजदूरों को रेस्क्यू कर सकुशल बाहर निकल जाएगा।
रेस्क्यू के लिए विशेषज्ञ भी आ रहेः डीएम
उत्तरकाशी सुरंग हादसे पर डीएम अभिषेक रोहिला ने बताया कि स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए विशेषज्ञ भी आ रहे हैं। मलबे की स्थिति के अनुसार बीच-बीच में बचाव अभियान को रोका भी जाता है। जैसे-जैसे परिस्थितियां अनुकूल होंगी, उस कार्य को आगे बढ़ाएंगे।