नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पश्ट कहा है कि सभी स्कूलों को कोरोना काल के दौरान वसूली गई फीस में से 15 प्रतिशत अभिभावकों को वापस करना होगी।
मई में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को स्कूल मैनेजमेंट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया था। लेकिन, लंबी बहस के बाद गुरुवार को कोर्ट ने पेरेंट्स के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा- स्कूल प्रबंधन को कोविड काल के दौरान साल 2020-21 के दौरान स्कूल के संसाधनों का पूरा इस्तेमाल नहीं किया। इसलिए अभिभावकों को राहत मिलनी ही चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के तीन प्राइवेट स्कूलों की ओर से कोविड काल में सत्र 2020-21 के दौरान स्टूडेंट्स से ली गई फीस में से 15ः लौटाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगी रोक हटाने के साथ इन तीन स्कूलों को इस फैसले से छूट भी दी है। हालांकि उनकी बैलेंसशीट का लेखा-जोखा अधूरा है। इन तीन स्कूलों को हलफनामे के जरिए एक अप्रैल 2018 से 30 मार्च 2022 तक का ब्योरा 6 हफ्ते में जमा कराना होगा। मई में सुप्रीम कोर्ट ने 6 सप्ताह के लिए हाईकोर्ट के आदेश को देखते हुए राज्य प्रशासन के किसी भी कठोर आदेश से स्कूलों की रक्षा की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, यदि उनकी बैलेंसशीट इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को न्याय संगत ठहराती हो, तो स्कूलों को 2020 और 2021 की महामारी के दौरान ली फीस वापस करनी होगी।
किश्तों में होगा समायोजन
अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया, हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। सत्र 2020-21 में ली गई फीस को आगे की किस्तों में समायोजित कर देंगे। जिन स्कूलों ने कोरोना काल में मासिक शुल्क में छूट दी गई थी उन्हें अनायास परेशान ना किया जाए और उनके ऊपर किसी भी प्रकार का दबाव न बनाया जाए। गौतमबुद्ध नगर अभिभावक संघ के अध्यक्ष यतेंद्र कसाना ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, लंबी लड़ाई के बाद अभिभावकों की जीत हुई है। उन्हें न्याय मिला है। कोर्ट के इस फैसले से आम लोगों का न्याय प्रणाली पर विश्वास बढ़ा है।
स्कूल छोड़ चुके बच्चे भी शामिल
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी स्कूलों को साल 2020-21 में ली गई कुल फीस का 15ः जोड़कर आगे के सेशन में एडजस्ट करना होगा। साथ ही साथ जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, स्कूलों को उन्हें साल 2020-21 में वसूले गए शुल्क का 15ः मूल्य जोड़कर वापस लौटाना होगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने करीब 5 महीने पहले सभी प्राइवेट स्कूलों को 2020-21 के शैक्षणिक सत्र की 15ः फीस वापस करने या समायोजित करने का निर्देश दिया था। इससे पहले उच्च न्यायालय ने जनवरी में निर्देश दिया था कि इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान राज्य के अपने फैसले में सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक भुगतान किया गया शुल्क भविष्य के शुल्क के रूप में समायोजित होगा।