नई दिल्ली। चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक दलों की ओर से किए जाने वाले लोकलुभावन वादों पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख तेवर दिखाए हैं। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान सरकारों सहित चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने अपना जवाब चार सप्ताह के भीतर दाखिल करने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया है कि दोनों राज्य की सरकारें मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग कर रही हैं। याचिकाकर्ता की पैरवी करने वाले वकील ने कहा, ‘‘चुनाव से पहले सरकार द्वारा नकदी बांटने से ज्यादा खराब और कुछ नहीं हो सकता। हर बार यह होता है और इसका बोझ आखिरकार करदाताओं पर आता है।’’ कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
RBI को भी नोटिस
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने अर्जी पर सुनवाई करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक को भी नोटिस जारी किया है। अर्जी में आरोप लगाया गया है कि वोटरों को लुभाने के लिए दो राज्य सरकारें कर दाताओं के पैसे का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट में यह अर्जी सामाजिक कार्यकर्ता भट्टूलाल जैन ने दाखिल की है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि वह राज्य सरकारों को निर्देश दे कि वे चुनावों से पहले पब्लिक फंड को मंजूरी न दें। अर्जी में आरोप लगाया गया है कि चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के वादों से ‘कर दाताओं के पैसे की बर्बादी हो रही है।’
पहले भी दाखिल हो चुकी हैं कई याचिकाएं
इसके साथ ही कोर्ट ने इस विषय पर चल रही अन्य याचिकाओं को भी एक साथ जोड़ दिया है। अब सभी मामलों की सुनवाई अब एक साथ होगी। वहीं इससे पहले जनवरी 2022 में BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटर्स से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की थी। इसमें मांग की गई थी कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए। केंद्र सरकार ने अश्विनी से सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से फ्रीबीज की परिभाषा तय करने की अपील की थी। केंद्र ने कहा कि अगर फ्रीबीज का बंटना जारी रहा, तो ये देश को भविष्य की आर्थिक आपदा की ओर ले जाएगा।