टीवी चैनल्स के मजबूत स्व-नियमन के लिए गाइडलाइंस लाएगा कोर्ट, कहा- एक लाख का जुर्माना अप्रभावी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि टेलीविजन चैनलों के लिए स्व-नियमन प्रभावी होना चाहिए। कोर्ट ने संकेत दिया कि वह इस संबंध में जल्द ही नए दिशा-निर्देश जारी करेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि 15 साल से एक लाख का ही जुर्माना लगाना अप्रभावी है।

मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि जब तक नियमों को सख्त नहीं बनाया जाएगा, तब तक टीवी चैनल वाले इसका पालन नहीं करेंगे। टीवी चैनलों के सेल्फ रेगुलेशन में कमी को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) की अपील पर सुनवाई के दौरान पीठ ने ये टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि कई साल पहले निर्धारित दंड की मात्रा तब से नहीं बढ़ाई गई। कोर्ट ने टिप्पणी की कि जुर्माने की राशि में 2008 के बाद से बढ़ोतरी नहीं हुई। अदालत ने कहा कि जुर्माना उस शो से चैनल द्वारा अर्जित मुनाफे के अनुपात में होना चाहिए। अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि स्व-नियामक तंत्र प्रभावी होना चाहिए। कोर्ट ने उत्तरदाताओं से जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा। कोर्ट ने भारतीय टीवी न्यूज़ चैनलों की स्वतंत्र संस्था ‘न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) को सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सीकरी और न्यायमूर्ति रवींद्रन से सुझाव मांगने की भी बात कही।

सुप्रीम कोर्ट ने दागे तीखे सवाल
बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने टीवी चैनल्स के स्व-नियमन को नाकाफी बताते हुए इसे सख्त बनाने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ‘आप कह रहे हैं कि टीवी चैनल्स स्व-नियमन रखते हैं लेकिन मुझे नहीं पता आपकी बात से इस कोर्ट में कितने लोग सहमत होंगे। आप लोग कितना जुर्माना लगाते हैं? एक लाख! एक चैनल एक दिन में कितना कमाता है। जब तक आप नियमों को सख्त नहीं बनाएंगे कोई भी टीवी चैनल इन्हें मानने के लिए बाध्य नहीं होगा।

पीठ ने केंद्र सरकार से भी मांगा जवाब
पीठ ने एनबीए की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अरविंद दतार से कहा कि वह जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस आरवी रविंद्रन से टीवी चैनल्स के स्व-नियमन को मजबूत करने के लिए सलाह मांगें और बाद में इसे कोर्ट में पेश करें। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार से भी इस पर जवाब मांगा जाएगा। कोर्ट ने जुर्माने की राशि एक लाख को लेकर भी सलाह मांगी है।

Exit mobile version