नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने सात हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीशों के लिए जजों के नाम की सिफारिश भेजी है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना ने बुधवार को आयोजित कॉलेजियम बैठक में नामों पर चर्चा की। कॉलेजियम की ओर से केरल, ओडिशा, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, बॉम्बे, तेलंगाना और गुजरात हाईकोर्ट के लिए सात जजों के नाम केंद्र को भेजे गए हैं, जिन्हें इन अदालतों के चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्त करने की सिफारिश की गई है। पुनगर्ठित कॉलेजियम में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं। कॉलेजियम ने बुधवार को अपनी पहली बैठक में यह फैसला किया।
कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की जज सुनीता अग्रवाल के नाम की गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए सिफारिश की है। वहीं, गुजरात हाईकोर्ट के कार्यकारी जज आशीष जे देसाई के नाम का केरल हाईकोर्ट के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। ओडिशा हाईकोर्ट के जस्टिस सुभासीस तालपत्रा की इसी कोर्ट में चीफ जस्टिस के लिए सिफारिश की गई है। दिल्ली हाईकोर्ट के जज सिद्धार्थ मृदुल के नाम का मणिपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर का नाम भेजा गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज देवेंद्र उपााध्याय के नाम की सिफारिश की गई है। वहीं, तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए कॉलेजियम ने कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस आलोक आध्रे का नाम भेजा है। कॉलेजियम ने तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस वेंकटनारायण भट्टी के नाम की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए भी सिफारिश केंद्र को भेजी है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है, लेकिन पिछले महीने तीन न्यायाधीशों के रिटायर होने के बाद फिलहाल 31 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं।
कॉलेजियम ने कहा कि कोर्ट में तीन रिक्तियां हैं और लंबित मामलों को निपटाने के लिए कार्यरत न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने के लिहाज से खाली पदों को भरना जरूरी है। कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए पात्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ न्यायाधीशों के नामों पर विचार-विमर्श किया है।