सुप्रीम कोर्ट से सत्येंद्र जैन को 6 हफ्ते की अंतरिम जमानत, बिना इजाजत नहीं छोड़ सकते दिल्ली

दिल्ली। दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 6 हफ्तों की जमानत दे दी है। 11 जुलाई तक उन्हें कोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। 10 जून को उन्हें दोबार कोर्ट में पेश होना होगा। कोर्ट ने कहा कि जैन की सेहत को देखते हुए उन्हें छोड़ा जाए। इस दौरान वे दिल्ली से बाहर नहीं जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सत्येंद्र जैन को प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने की इजाजत देते हैं। जैन किसी भी गवाह को प्रभावित नहीं करेंगे। अदालत की इजाजत के बगैर वह दिल्ली से बाहर नहीं जाएंगे। बेल के दौरान जो भी इलाज किया जा रहा है, उसके दस्तावेज अदालत के सामने पेश किए जाएं। सत्येंद्र जैन 31 मई 2022 से हिरासत में हैं। 6 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ED को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

इससे पहले गुरुवार को दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को गुरुवार सुबह जेल के बाथरूम में फिसलने और चोट लगने के बाद लोक नायक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। जेल अधिकारियों के मुताबिक, जैन सेंट्रल जेल नंबर 7 स्थित अस्पताल के एमआई रूम के बाथरूम में सुबह करीब 6 बजे गिरे। कमजोरी की वजह से शुरुआत में उन्हें निगरानी में रखा गया और वहां डॉक्टरों ने जांच की।

जेल अधिकारियों ने कहा था कि गिरने के बाद जैन सामान्य थे लेकिन उन्हें दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल ले जाया गया जब उन्होंने अपनी पीठ, बाएं पैर और कंधे में दर्द की शिकायत की। बाद में उन्होंने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की, जिसके बाद सत्येंद्र जैन को राजकीय एलएनजेपी अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया था। अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया था कि वह ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि गिरने के कारण जैन के सिर में खून का थक्का बन गया है। उन्होंने कहा, “जांच जारी है और वह निगरानी में है। उनका सीटी स्कैन भी किया गया है। न्यूरोलॉजी विशेषज्ञों और चिकित्सकों की एक टीम उनकी जांच कर रही है।”

क्या है सत्येंद्र जैन से जुड़ा मामला
इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने 24 अगस्त 2017 को CBI की तरफ से दर्ज की गई FIR को आधार बनाकर जैन के खिलाफ मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में जांच शुरू की थी। सत्येंद्र जैन ने 14 फरवरी 2015 से 31 मई 2017 तक कई लोगों के नाम पर चल संपत्तियां खरीदी थीं। जिसका वे संतोषजनक हिसाब नहीं दे सके थे। उनके साथ पूनम जैन, अजित प्रसाद जैन, सनील कुमार जैन, वैभव जैन और अंकुश जैन के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था।

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