Adani Hindenburg Case: सेबी ने अडानी मामले पर जांच के लिए 6 महीने मांगे, कोर्ट ने कहा- 3 महीने में सौंपे रिपोर्ट

नई दिल्ली। यूएस शार्ट सेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट उसे उपजे अडानी विवाद की जांच कर रही सेबी ने शुक्रवार को अदालत ने जांच के लिए समय की मांग की। जिस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने कहा कि जांच के लिए समय मिलेगा लेकिन 6 महीने का समय नहीं दिया जाएगा। अदालत ने कहा कि जांच के लिए समय केवल तीन महीने ही बढ़ाया जाएगा।

गौतम अडानी के अडानी समूह के खिलाफ जांच का समय बढ़ाने की मांग वाली सेबी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड की याचिका पर शुक्रवार को सुनावाई हुई। याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच के लिए अदालत द्वारा नियुक्त समिति पर इस सप्ताह के अंत पर विचार किया जाएगा। वहीं सेबी की ओर की जाने वाली जांच के लिए समय बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने के लिए 15 मई की तारीख निश्चित की है। अडानी ग्रुप के खिलाफ लेनदेन की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी अदालत ने उस रिपोर्ट को नहीं पढ़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह स्टॉक हेरफेर के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए सेबी द्वारा मांगे गए 6 महीने के बजाय 3 महीने का समय दे सकता है।

कोर्ट ने 2 मार्च को बनाई थी 6 सदस्यीय कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है, उसके हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे हैं। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कमेटी बनाने का यह आदेश 2 मार्च को दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को कही थी यह बात
अदालत की ओर से नियुक्त न्यायमूर्ति सप्रे पैनल को केंद्र और सेबी अध्यक्ष सहित अन्य वैधानिक एजेंसियों की ओर से सहायता प्रदान की जानी है। शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को कहा था कि अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट की पृष्ठभूमि में बाजार में उतार-चढ़ाव से भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा करने की जरूरत है। अदालत ने केंद्र से कहा था कि वे नियामकीय तंत्र को मजबूत करने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने पर विचार करे।

अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद मामले में 4 जनहित याचिकाएं दायर हुई थीं। एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की थीं। मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी।

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