PFI पर बना रहेगा बैन, UAPA ट्रिब्यूनल ने लगाई मुहर

नई दिल्ली। गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) से संबंधित ट्रिब्यूनल ने मंगलवार को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) को गैरकानूनी संगठन घोषित करने और उस पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी।

एपीए ट्रिब्यूनल के हेड जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने केंद्र सरकर के फैसले को बरकरार रखा है। UAPA ट्रिब्यूनल ने आदेश पारित करने के बाद इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेज दिया है। 28 सितंबर 2022 को केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उससे जुड़े लोगों पर बैन लगा दिया था। उनपर यूएपीए एक्ट 1967 के सेक्शन 3(1) के तहत 5 साल का बैन लगा दिया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी जांच में पाया था कि पीएफआई और उससे जुड़े लोग आतंकी संगठन, आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े हुए थे। गृह मंत्रालय ने PFI के अलावा रेहाब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया इमाम काउंसिल सहित कई संगठनों पर एक्शन लिया था।

एनआइए ने 150 से अधिक लोगों को पकड़ा था
राष्ट्रीय महिला मोर्चा का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता कार्तिक वेणु ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने सभी आठ संगठनों पर प्रतिबंध की पुष्टि की है। एनआइए ने पिछले साल सितंबर में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, असम और मध्य प्रदेश आदि राज्यों में छापेमारी कर पीएफआइ से जुड़े 150 से अधिक लोगों को पकड़ा था। साथ ही कई दर्जन संपत्तियों को भी जब्त किया था।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया था कि पीएफआइ के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) के नेता हैं और पीएफआइ के जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के साथ संबंध हैं। बता दें कि जेएमबी और सिमी दोनों प्रतिबंधित संगठन हैं।

क्या कहता है कानून जान लीजिए
यूएपीए की धारा 3 के अनुसार, जब किसी संघ को गैरकानूनी घोषित किया जाता है तब केंद्र सरकार अधिसूचना की तारीख के 30 दिनों के भीतर ट्रिब्यूनल को अधिसूचना देगी। अधिसूचना में बताया जाएगा कि संगठन को गैरकानूनी घोषित करने के पर्याप्त कारण थे या नहीं। वहीं धारा 5 के अनुसार, UAPA न्यायाधिकरण में एक व्यक्ति होना चाहिए। वह व्यक्ति हाईकोर्ट का न्यायाधीश होना चाहिए। केंद्र से अधिसूचना मिलने पर ट्रिब्यूनल लिखित में नोटिस से प्रभावित प्रभावित एसोसिएशन को इस तरह के नोटिस की तामील की तारीख से तीस दिनों के भीतर कारण बताने के लिए कहेगा कि क्यों एसोसिएशन को गैरकानूनी घोषित नहीं किया जाना चाहिए।

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