नई दिल्ली। देश में मौसमी इन्फ्लुएंजा के सब टाइप एच3एन2 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी तमाम राज्यों को इस वायरस से निपटने के लिए अस्पतालों में पुख्ता तैयारी रखने के निर्देश दिए हैं।
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा कहना हैं कि यह इन्फ्लुएंजा वायरस लगभग हर साल ही लोगों को बीमार करता रहा है। अब चूंकि लोग कोविड को झेल चुके हैं और इसके लक्षण भी कोविड जैसे ही हैं, लिहाजा यह सभी को पता चल रहा है। हालांकि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इस वायरस से बचने के लिए अगर कोविड जैसा ही व्यवहार और जरूरी सावधानियां बरती जाएं, तो इससे आसानी से बचा जा सकता है। क्योंकि यह एक सामान्य मौसमी फ्लू ही है। कुछ दिन पहले इस फ्लू का एच1एन1 म्यूटेंट देखा गया था, जबकि अब इसका नया म्यूटेंट एच3एन2 आया है। यह वायरस हर साल अपना रूप बदलता है। यही वजह है कि इसकी वैक्सीन भी हर साल नई ही आती है। नए म्यूटेशन को देखते हुए आमतौर पर जुलाई और अगस्त के महीने में इस फ्लू की नई वैक्सीन आती है, जिसे कोई भी लगवा सकता है और इससे सुरक्षित रह सकता है।
कोविड-19 टेस्ट की तरह जांच
H3N2 वायरस टेस्ट भी कोविड-19 टेस्ट की तरह ही किया जाता है। इसके सेंपल नाक और गले से लिए जाते हैं, ठीक उसी तरह जैसे कोरोना की जांच के लिए सेंपल लिया जाता है।
कैसे होता है H3N2 का टेस्ट?
सबसे पहले मरीज का सेंपल लिया जाता है। यह सेंपल नाक और गले से लिया जाता है, लैब में सेंपल कलेक्ट करने के बाद इसे जांच के लिए भेजा जाता है और करीब 4 दिन में इसकी रिपोर्ट आ जाती है।
मरीज को कब करानी चहिए जांच?
इस फ्लू के लक्षणों में सर्दी-खांसी, बुखार के साथ ही सिर दर्द और कुछ मामलों में उल्टी- दस्त भी हो सकते हैं। जैसे ही आपको ये लक्षण महसूस हो उसके दो-तीन दिन के भीतर H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस की जांच करा लेना चाहिए।
पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद क्या करें?
चूंकि यह एक संक्रामक बीमारी है। ऐसे में अगर H3N2 के लक्षण महसूस होने पर टेस्ट करवाया जाता है और उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो हमें कोरोना मरीज की तरह ही आइसोलेट करना होगा। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही मास्क लगाना चाहिए। घर के दूसरे सदस्यों से दूरी बनाकर अन्य कमरे में रहकर इलाज लेना चाहिए।