नई दिल्ली। नॉन प्राफिट डिजिटल फोरेंसिक, रिसर्च एंड एनालिटिक्स सेंटर (डीएफआरएसी) ने पैगंबर मुहम्मद के सम्मान की रक्षा के नाम पर भारत को बदनाम करने के लिए मुस्लिम ब्रदरहुड की साजिश का खुलासा किया है। यह संगठन भारत के अलावा खाड़ी में काम करने वाले हिंदुओं को बदनाम करने का अभियान चला रहा है।
फैक्ट चेकिंग वेबसाइट डिजिटल फोरेंसिक, रिसर्च एंड एनालिटिक्स सेंटर (डीएफआरएसी) ने गहन अध्ययन के बाद जानकारी दी है कि यह संगठन विशेष रूप से पश्चिमी देशों को लक्षित कर ‘पैगंबर मुहम्मद का समर्थन’ नाम से एक अंतरराष्ट्रीय अभियान चला रहा है। इस संगठन के सदस्यों ने भारत पर हमले भी किए हैं। तत्कालीन भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा एक लाइव टीवी शो के दौरान पैगंबर पर टिप्पणी करने के बाद भारत को दुर्भावनापूर्ण प्रचार का निशाना बनाया गया था। अरब और खाड़ी देशों में एक अभियान भी चलाया गया कि भारतीय उत्पादों का बहिष्कार किया जाए और भारतीय दूतों को बाहर किया जाए।
मुस्लिम देशों के साथ भारत के संबंधों के भी खिलाफ हैं ये शख्स
डीएफआरएसी ने भारत विरोधी अंतर्राष्ट्रीय अभियान के तीन प्रमुख व्यक्तियों – डॉ. अली अल करादागी, डॉ. शेख मोहम्मद अल-सगीर और मुहम्मद अल-हसन बिन अल-दिद्दू अल-शंकिती की साइबर गतिविधियों की जांच की और पाया कि वे छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पैगंबर के सम्मान की रक्षा की आड़ में भारत विरोधी अभियान का मुख्य स्तंभ अल-करादागी है। वह भारत के प्रति घृणा को बढ़ा रहा है। अल-सगीर भारत विरोधी अभियान का एक प्रमुख घटक है। यह हिंदुओं को निशाना बनाने के साथ-साथ मुस्लिम देशों के साथ भारत के संबंधों के भी खिलाफ हैं। अल-शंकिती ट्विटर पर भारत विरोधी घृणा अभियान में बहुत सक्रिय है। उन्होंने मॉरिटानिया और दुनिया भर के मुसलमानों से भारत का बहिष्कार करने की अपील की है। उन्होंने खाड़ी देशों से हिंदुओं को बाहर निकालने की मांग की थी।
तीनों ही जुड़े हुए ब्रदरहुड से
मुस्लिम ब्रदरहुड, 1928 में इस्लामिक विद्वान और स्कूली शिक्षक हसन अल-बन्ना द्वारा मिस्र में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय सुन्नी इस्लामवादी संगठन है। तीनों ही मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े हुए हैं और उल्लेखनीय है कि भारत के सदियों से अरब और मुस्लिम देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं जिन्हें वे तोड़ने की साजिश कर रहे हैं। डीएफआरएसी विश्लेषण से स्पष्ट है कि वे पैगंबर मुहम्मद के सम्मान के भावनात्मक मुद्दे को अपने भारत विरोधी एजेंडे के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका मुख्य मकसद अरब और खाड़ी देशों से काम कर रहे लाखों भारतीयों को निकालना है।