राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह की हत्या, एक गनर की भी मौत

प्रयागराज। बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की शुक्रवार शाम गोली मार कर हत्या कर दी गई। उनकी सुरक्षा में लगे दो गनर भी गंभीर रूप से घायल हो गए। उपचार के दौरान एक गनर की भी मौत हो गई। गोलियों के साथ ही बम भी चलाए गए। इससे पूरा इलाका धुआं-धुआं हो गया।

राजू पाल हत्याकांड में उमेश पाल इकलौता गवाह था। उस पर हुए हमले की सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है कि बेहद दुस्साहसिक ढंग से वारदात को अंजाम दिया गया है। उमेश पाल शुक्रवार की दोपहर राजूपाल हत्याकांड के मामले में ही केस की सुनवाई में गए थे। वहां से घर लौट रहे थे। घर से ठीक पहले उनकी कार रुकती है। आगे वाली सीट पर बैठा गनर कार का दरवाजा खोलकर पहले उतरता है।

उसके बाद उमेश पाल कार के पीछे का गेट खोलकर बाहर आते हैं। उमेश पाल के कार से बाहर आते ही एक बदमाश बिल्कुल उनके पास आता है और फायरिंग कर देता है। एक गोली लगने से उमेश जमीन पर गिर पड़ते हैं। उमेश पाल के गिरते ही उनका गनर बदमाश पर झपटता है तो उस पर भी फायरिंग होती है। इसी बीच गोली लगने के बाद भी उमेश पाल अपने घर की तरफ गली में भागते हैं। उनके भागते ही आगे की तरफ से भी कुछ हमलावर उनके पीछे गोलिया चलाते हुए जाते दिखाई देते हैं। इसी बीच दहशत फैलाने के लिए कई बम भी बीच राह ही फोड़े जाते हैं।

झोले से बम ऐसे फेंका जैसे कोई सामान फेंक रहा हो
सीसीटीवी फुटेज में शूटरों के अलावा एक बमबाज भी नजर आया है। सफेद शर्ट पहने हुए हमलावर एक झोला में बम लेकर पहुंचा था। उसके झोले में सामान्य बम नहीं था। उसमें मोटी और बड़ी बड़ी रिपिट भरी थी। वह सरेआम झोले से बम निकालकर फेंक रहा था। वह ऐसे बम चल रहा था जैसे कोई झोला से निकालकर चारों ओर सामान फेंक रहा हो। एक के बाद एक करके कई बम चलाए।

अतीक के दो बेटों को पुलिस ने उठाया
उमेश पर हमले के बाद उसके परिजनों ने सीधे अतीक अहमद पर जेल से हत्या कराने का आरोप लगाया। पुलिस ने तहरीर का इंतजार छोड़ कार्रवाई शुरू कर दी। रात में ही छापामारी कर अतीक अहमद के दो बेटों और उनके दोस्तों को उठा लिया। पुलिस सुरक्षित जगह पर ले जाकर उनसे पूछताछ कर जा रही है। इसके अलावा उमेश के करीबियों से भी पुलिस जानकारी ले रही है।

25 जनवरी 2005 को हुई थी राजू पाल की हत्या
अतीक अहमद के सांसद बनने से रिक्त हुई शहर पश्चिमी सीट से राजू पाल 2005 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर विधायक बने थे। राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को पराजित किया था। चुनाव में जीत के बाद राजू पाल की मुश्किलें बढ़ गई थी। करारी हार का बदला लेने के लिए राजू पाल की दिन दहाड़े गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना में उमेश पाल मुख्य गवाह थे।

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