नई दिल्ली/अहमदाबादा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन का आज शुक्रवार निधन हो गया। वह 100 साल की थीं। उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा था। मां के निधन की जानकारी खुद पीएम मोदी ने ट्विटर एक बेहद भावुक मैसेज लिखते हुए दी।
पीएम मोदी ने कहा, “शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम… मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है। पीएम मोदी ने दूसरे में ट्वीट लिखा, “मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से। प्रधानमंत्री मोदी अहमदाबाद जा रहे हैं।”
18 जून 2022 को हुई थीं 100 साल की
मां हीराबेन मोदी को तबीयत बिगड़ने के बाद बुधवार (28 दिसंबर) को अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हीराबेन इसी साल 18 जून 2022 में 100 साल की हुई थीं। उनकी तबीयत मंगलवार रात (27 दिसंबर) में बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
गुरुवार को अस्पताल की ओर से बयान जारी कर बताया गया था कि उनकी तबीयत में सुधार है, लेकिन शुक्रवार सुबह उनका निधन हो गया। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार दोपहर दिल्ली से सीधे अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल मां से मिलने गए थे। वह वहां अपनी मां के पास डेढ़ घंटा रुककर हालचाल जानने और उनके स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद शाम को दिल्ली लौट आए थे।पीएम मोदी की मां हीराबेन बहुत ही सादा जीवन जीती थी। इस साल हुए गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में उन्होंने खुद ही जाकर वोट डाला था।
संघर्षों भरा था जीवन
पीएम मोदी ने उनके संघर्षों को कलमबद्ध कर इस साल जून में एक ब्लॉग लिखा था, उसमें उन्होंने अपने माता-पिता के संघर्षपूर्ण जीवन की दास्तां बताई थी। प्रधानमंत्री ने लिखा है, “आमतौर पर संसाधनों की कमी से इंसान तनाव में होता है लेकिन मेरे माता-पिता ने कमी और दैनिक संघर्षों की चिंता को कभी भी पारिवारिक माहौल पर हावी नहीं होने दिया। मेरे माता-पिता दोनों ने सावधानीपूर्वक अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को बांट लिया था और उन्हें ताउम्र पूरा किया।”
मोदी ने लिखा है, “मेरे माता-पिता समय के पाबंद थे। घड़ी में सुबह के चार बजते ही काम पर निकल जाया करते थे। उनके कदमों की आहट पड़ोसियों को बताती थी कि सुबह के 4 बज गए हैं और दामोदर काका काम पर जा रहे हैं। वह अपनी चाय की दुकान खोलने से पहले एक और दैनिक अनुष्ठान करते थे, वह था स्थानीय मंदिर में प्रार्थना करना।”
प्रधानमंत्री ने लिखा है, “मां भी उतनी ही समय की पाबंद थीं। वह भी मेरे पिता के साथ उठती थीं, और सुबह ही अनाज पीसने से लेकर चावल-दाल छानने तक माँ कई काम निपटा देती थीं। उनके पास कोई सहारा नहीं था। काम करते समय वह अपने पसंदीदा भजन और गीत गुनगुनाती थीं। उन्हें नरसी मेहता जी का एक लोकप्रिय भजन – ‘जलकमल छड़ी जाने बाला, स्वामी अमरो जगसे’ बहुत पसंद था। उन्हें लोरी भी पसंद थी, ‘शिवाजी नू हलरदु’।”
पीएम मोदी ने लिखा, “मां ने कभी हमसे, बच्चों से यह उम्मीद नहीं की थी कि हम पढ़ाई छोड़कर घर के कामों में हाथ बंटाएं। उन्होंने कभी हमसे मदद भी नहीं मांगी। हालाँकि, उसकी इतनी मेहनत को देखते हुए, हमने उनकी मदद करना अपना पहला कर्तव्य माना। मैं वास्तव में स्थानीय तालाब में तैरने का आनंद लेता था। इसलिए मैं घर से सारे मैले कपड़े ले जाता था और उन्हें तालाब में धोता था। तालाब में कपड़े धोना और मेरा खेलना, दोनों साथ-साथ हो जाया करते थे।”
पीएम ने लिखा है, “घर का खर्च चलाने के लिए मां कुछ घरों में बर्तन मांजती थी। वह हमारी अल्प आय को पूरा करने के लिए चरखा चलाने के लिए भी समय निकालती थीं। सूत छीलने से लेकर सूत कातने तक का काम वह करती थीं। इस कमर तोड़ने वाले काम में भी उनकी प्रमुख चिंता यह सुनिश्चित करना था कि कपास के कांटे हमें चुभें नहीं।” पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि उनकी मां स्वाबलंबी और स्वाभिमानी महिला थीं। उन्होंने कभी भी किसी पर बोझ बनना स्वीकार नहीं किया और किसी से कुछ अपेक्षा भी नहीं रखती थीं।