दिल्ली दंगा: उमर खालिद को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

दिल्ली। जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की दिल्ली दंगों की व्यापक साजिश से जुड़े मामले में दायर जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। अदालत ने खालिद की याचिका को खारिज कर दिया है।

यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने इस पर दोनों पक्षों की पूरी दलीलें सुनने के बाद नौ सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। खालिद ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें जमानत देने इनकार कर दिया गया था।इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि UAPA कानून के तहत लगी रोक का प्रावधान लागू होगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि खालिद के खिलाफ लगे आरोप प्रथम दृष्टि में सही हैं। 24 मार्च के निचली अदालत के आदेश में दखल देने की फिलहाल कोई आवश्यकता नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगों तक आया है। वह JNU के मुस्लिम छात्रों का सदस्य रहा है। उसने जंतर मंतर, जंगपुरा, सीलमपुर आदि मीटिंग में हिस्सा लिया था।

उमर खालिद ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये दलील दी कि इस हिंसा में न तो उसकी कोई आपराधिक भूमिका है और ना ही किसी भी आरोपी के साथ कोई आपराधिक संबंध हैं। उमर खालिद की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पायस ने ये दलील दी थी कि उनके मुवक्किल ने सीएए समेत वही मुद्दे उठाए थे जिन्हें लेकर पूरे देश में चर्चा चल रही थी।इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं है।

2020 में खालिद को किया गया था अरेस्ट
साल 2020 के फरवरी महीने में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया था। शरजिल इमाम और कुछ अन्य लोगों के साथ ही दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को मुख्य आरोपी बताते हुए यूएपीए और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

दंगों में 53 लोगों की हुई थी मौत
दिल्ली पुलिस ने दलील दी है कि दंगे दो चरणों में हुए हैं, पहले 2019 में और फिर फरवरी 2020 में। पुलिस का दावा है कि दंगों के दौरान झूठी जानकारी फैलाई गई, सड़कों को बाधित किया गया, पुलिस और अर्धसैनिक बलों पर हमले किए गए तथा गैर मुस्लिम इलाकों में हिंसा की गई। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।

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