नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में भारी कटौती और रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी कम करने की घोषणा करने के बाद अब मोदी सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने खाने के तेल पर टैक्स कम करने का फैसला लिया है, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिली है क्योंकि इससे आने वाले दिनों में खाने के तेल के दाम कम हो जाएंगे।
सरकार ने 20-20 लाख मीट्रिक टन तेल आयात को सीमा शुल्क, कृषि अवसंरचना और विकास उपकर की शून्य दर पर आयात की अनुमति दी है। मतलब ये कि दोनों तेल के 20-20 लाख मीट्रिक टन तेल आयात पर ये कर नहीं लगेंगे। यह नियम 31 मार्च 2024 तक के लिए लागू होगा। आसान भाषा में समझें तो चालू वित्त वर्ष के अलावा आगामी वित्त वर्ष में भी 20 लाख मीट्रिक टन तेल के आयात पर कर नहीं देना होगा। इसका मतलब है कि 31 मार्च, 2024 तक कुल 80 लाख टन कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल का शुल्क मुक्त आयात किया जा सकेगा।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक इस फैसले से भारत में सस्ते में अंतराष्ट्रीय बाजार से क्रूड सोयाबीन ऑयल और क्रूड सनफ्लावर सीड ऑयल का आयात संभव हो सकेगाे। इससे कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
इससे पहले सोमवार से ही इंडोनेशिया सरकार ने पाम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा लिया था। इसके बाद भारत के कई शहरों में खाने-पीने के तेल की कीमतों में मामूली गिरावट दर्ज हुई ह।
बीते कुछ माह में रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के अलावा इंडोनेशिया द्वारा निर्यात पर पाबंदी से आयात प्रभावित हुई है। इस वजह से वैश्विक के साथ घरेलू बाजार में भी खाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। हालांकि, सरकार ने पिछले साल कीमतों में कटौती को लेकर कई अहम फैसले भी लिए थे।