नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने एक और ऐतिहासिक फैसला लिया है। भारत सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया। गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर यह जानकारी दी।
अमित शाह ने गुरुवार दोपहर सिलसिलेवार ट्वीट्स में इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय देते हुए कहा कि यह कदम नॉर्थ ईस्ट में सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर होती स्थिति और तेजी से विकास का नतीजा है। शाह ने पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि दशकों तक भारत का यह हिस्सा नजरअंदाज किया गया मगर मोदी सरकार का फोकस इसी पर है।
अमित शाह ने पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए लिखा, “नरेंद्र मोदी जी की अटूट प्रतिबद्धता से, हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो दशकों से उपेक्षित था, अब शांति, समृद्धि और अभूतपूर्व विकास के एक नए युग का गवाह बन रहा है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई देता हूं।”
एक दिन पहले ही, असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराना सीमा विवाद सुलझने की दिशा में कदम बढ़े। असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में समझौते पर दस्तखत किए। दोनों राज्य 885 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। इनके बीच 12 जगहों को लेकर सीमा विवाद था।
AFSPA क्या है?
AFSPA को साल 1958 में संसद ने पारित किया था। इसका पूरा नाम The Armed Forces (Special Powers) Act, 1958 (AFSPA) है। 11 सितंबर, 1958 को अफ्सपा लागू हुआ था। शुरू में यह पूर्वोत्तर और पंजाब के उन क्षेत्रों में लगाया गया था, जिनको ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर दिया गया था। इनमें से ज्यादातर ‘अशांत क्षेत्र’ की सीमाएं पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और म्यांमार से सटी थीं। सितंबर 2017 तक मेघालय के करीब 40 फीसदी हिस्से में अफ्सपा लागू था। बाद में गृह मंत्रालय की समीक्षा के बाद राज्य सरकार ने मेघालय से अफ्सपा को पूरी तरह वापस लेने का फैसला किया।