नेतान्याहू से नाराज हुए ट्रंप, कहा- मैंने उसके लिए इतना कुछ किया फिर भी धोखा दिया

यरूशलम। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन को पिछले साल हुए चुनाव में जीत हासिल करने पर बधाई देने के लिये इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू के प्रति सख्त नाराजगी जाहिर की है। ट्रंप ने कहा कि मैंने नेतन्याहू के लिए इतना कुछ किया लेकिन उसने मुझे धोखा दिया। उसने मेरे साथ विश्वासघात किया है। ट्रंप ने कहा कि जब से नेतन्याहू ने राष्ट्रपति बाइडन को बधाई दी है मैंने उससे बात करना छोड़ दिया है।

ट्रंप अपनी किताब ‘ट्रंप्स पीस: द अब्राहम अकॉर्ड्स एंड द रीशेपिंग ऑफ़ द मिडिल ईस्ट’ पर इसराइली पत्रकार बराक राविड से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने नेतन्याहू पर जो बाइडन को 2020 के अमेरिकी चुनाव में जीत पर जल्द बधाई देने का आरोप लगाया। ट्रंप ने इंटरव्यू के दौरान कहा, “पहला व्यक्ति जिसने (जो बाइडन को) बधाई दी वो बीबी (बेंजामिन) नेतन्याहू थे। वो व्यक्ति जिसके लिए मैंने किसी ओर से ज़्यादा किया और उनके साथ काम किया, बीबी शांत रह सकते थे। उन्होंने बहुत बड़ी ग़लती की।”

ट्रंप ने कहा कि 2019 में अमेरिका ने गोलन हाइट्स को संप्रभु इजरायली क्षेत्र के रूप में मान्यता दी। यह बहुत बड़ी बात थी। उस वक्त लोग कह रहे थे कि ट्रंप ने बीबी को लाखों का गिफ्ट दे दिया है। इससे उन्हें चुनावों में बहुत फायदा पहुंचा। वह चुनाव हार सकते थे लेकिन गोलन हाइट्स ने उन्हें कम से कम 10-15 फीसद अधिक वोट दिलाए। उन्होंने आगे कहा है कि बीबी मुझे पसंद थे। मैं अब भी उन्हें पसंद पसंद करता हूं। लेकिन मुझे वफादारी भी पसंद है। उन्होंने कहा है कि बीबी को जितना शुक्रिया कहना चाहिए था, शुक्रगुजार होना था, कभी नहीं रहा। लानत भेजता हूं इस विश्वासघाती नेतन्याहू को। ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर मैं राष्ट्रपति नहीं बनता तो इस्राइल का काम तमाम हो जाता।

ट्रंप की प्रतिक्रिया के जवाब में नेतन्याहू ने अमेरिकी न्यूज़ वेबसाइट एक्सियोस से कहा है, “राष्ट्रपति ट्रंप के इसराइल और उसकी सुरक्षा में बड़े योगदान की मैं सराहना करता हूँ। इसराइल और अमेरिका के बीच मज़बूत गठबंधन के महत्व की भी मैं सराहना करता हूँ और इसीलिए मेरे लिए आने वाले राष्ट्रपति को बधाई देना महत्वपूर्ण था।”

बता दें अमेरिकी प्रशासन में 2017 से लेकर 2021 तक रहे ट्रंप के कार्यकाल को इसराइल के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। दोनों देशों के इतिहास में अमेरिका और इसराइल कभी भी इतना क़रीब न रहे। अमेरिकी राष्ट्रपति रहते हुए ट्रंप ने नेतन्याहू के समर्थन में कई बड़े क़दम उठाए थे। इनमें यरूशलम को इसराइल की राजधानी मानने के विवादित फ़ैसले को स्वीकार करना भी शामिल था, जिसके कारण पूरे अरब जगत में रोष पैदा हो गया था।

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