नई दिल्ली। दुष्कर्म पीड़िता से शादी कर लेने से युवक पर लगा दुष्कर्म का आरोप समाप्त नहीं हो जाता है। दुष्कर्म एक गंभीर अपराध है और दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाने के आधार पर इसे निरस्त नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने यह अहम टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ दुष्कर्म की धारा में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने से इन्कार कर दिया।

युवती ने आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ता ने एक होटल में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। युवती ने कहा कि शादी करने की स्थिति में ही उसने आरोपित के साथ शारीरिक संबंध बनाने की बात की थी। हालांकि, बाद में उसने आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया था। एफआइआर रद करने की मांग को लेकर याचिका दायर कर आरोपित ने दलील दी कि उन दोनों के बीच समझौता हो गया है और उन्होंने शादी कर ली है, इसलिए इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया जाए।

इससे पहले दुष्कर्म पीड़िता युवती और आरोपित की दलील के बाद एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में 2013 में दर्ज कराई गई एक एफआइआर को खत्म करने का फैसला सुनाया था। दरअसल, दोनों पक्षों का कहना है कि कुछ गलतफहमी के कारण एफआइआर दर्ज करा दी गई थी। यह दुष्कर्म का मामला 2013 का था और दोनों ने 2014 में शादी कर ली थी और तब से एक-दूसरे के साथ खुश हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अब दोनों पक्ष अच्छी शादीशुदा जिंदगी बिता रहे हैं। ऐसे में एफआइआर का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आए इस मामले के मुताबिक, पीड़िता युवती ने सितंबर, 2013 में एफआइआर दर्ज कराई थी। इसके एक साल के भीतर ही अक्टूबर, 2014 में पीड़िता और आरोपित युवक ने शादी कर ली थी। उसके बाद से दोनों पक्ष सफदरजंग एन्क्लेव पुलिस थाने में दर्ज एफआइआर खत्म कराने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने एफआइआर रद करने से इनकार कर दिया था।  साभार-दैनिक जागरण

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