सस्ती और असरदार पेनकिलर कही जाने वाली दवा एस्प्रिन ब्रेस्ट, कोलोन और प्रोस्टेट जैसे कैंसर से मौत का खतरा 20 फीसदी तक घटा सकती है। रिसर्च करने के वाले कार्डिफ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है, 18 तरह के कैंसर और एस्प्रिन के बीच सम्बंध को समझा गया। 2,50,000 मरीजों पर हुई रिसर्च में सामने आया कि ये 18 तरह के कैंसर से होने वाली मौत का खतरा कम कर सकती है।
क्या काम करती है दवा, ये जानिए
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कैंसर बढ़ने पर यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों में तेजी से फैलने लगता है। एस्प्रिन कैंसर को पूरे शरीर फैलने से रोकती है। यही कारण है कि कैंसर के इलाज में एस्प्रिन एक कारगर दवा के तौर पर जानी जाती है। रिसर्च रिपोर्ट कहती है कि कैंसर के मरीजों में जागरुकता होनी चाहिए कि वो डॉक्टर से एस्प्रिन लेने के लिए कह सकें।
पिछले 50 सालों से एस्प्रिन के असर पर रिसर्च करने वाले प्रोफेसर पीटर एल्वुड का कहना है, यह दवा कैंसर रोगियों में मौत के खतरे को कम करती है और कैंसर फैलने से भी रोकती है। शोधकर्ताओं का कहना है, इस रिसर्च से पहले 118 तरह के अध्ययनों को भी पढ़ा गया है।
इन 18 तरह के कैंसर में एस्प्रिन असरदार
वैज्ञानिकों का कहना है, दवा का जिन 18 तरह के कैंसर पर असर देखा गया है उनमें कोलोन, ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, नेसोफेरिंग्स, इसोफेगस, लिवर, गॉल ब्लैडर, पेन्क्रियाज, ब्लैडर, ओवरी, एंडोमेट्रियम, हेड एंड नेक, ल्यूकीमिया, ग्लिओमा, मेलानोमा, गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल और गैस्ट्रिक कैंसर शामिल है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, लाखों में से एक चौथाई मरीज एस्प्रिन लेते हैं। रिसर्च के दौरान पाया गया कि कैंसर का पता चलने के बाद जिन 20 फीसदी से अधिक मरीजों ने एस्प्रिन ली वो इसे न लेने वालों की तुलना में जीवित रहे।
शोधकर्ताओं ने अलर्ट करते हुए कहा है कि रोजाना एस्प्रिन लेने से बचें क्योंकि यह रक्त को पतला करने का काम करती है। इसलिए कुछ मामलों में ब्लीडिंग हो सकती है।
यहां पर मुहर लगी
- 2016 में मैसाच्युसेट्स जनरल हॉस्पिटल की रिसर्च में सामने आया कि एस्प्रिन कैंसर का खतरा 5 गुना तक घटाती है।
- 2015 में लीडेन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ने 14 हजार कैंसर रोगियों पर रिसर्च की। रिसर्च के मुताबिक, रोजाना एस्प्रिन लेने वाले 75 फीसदी मरीज अगले 5 साल तक जिंदा रहे।
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