गैरइस्लामिकों को इस्लामिक बनाकर धर्मांतरण कराने के मामले में वेस्ट यूपी का नाम चर्चा में है। मेरठ से सटे नोएडा के डेफ सोसाइटी में मूकबधिर बच्चों को बरगलाकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जाता था। मार्च 2020 में बड़ी संख्या में मूकबधिर बच्चों का धर्मांतरण कराने की योजना सोसाइटी में थी। इसमें वेस्ट यूपी के तमाम जिलों से मूकबधिर बच्चों का धर्मपरिवर्तन का प्लान था। तभी लॉकडाउन लग गया। कई बच्चे घर लौट आए। लौटने वालों में मेरठ कैंट स्थित मूकबधिर विद्यालय के लगभग 08 बच्चे शामिल थे। जिन्हें लॉकडाउन के कारण घर लोटना पड़ा। ये बच्चे वहां तकनीकि शिक्षा के लिए गए थे, अचानक लॉकडाउन लगा और घर लौटना पड़ा।
गरीब बच्चों को बनाते हैं निशाना
मूकबधिर विद्यालय मेरठ कैंट की प्रिंसिपल डॉ. अमिता कौशिक ने बताया डेफ सोसाइटी में हमारे इधर से फरवरी-मार्च में लगभग 08 बच्चे वहां पढ़ने गए थे, तभी लॉकडाउन लग गया सारे बच्चे लौट आए। उनके मां, बाप बच्चों को वापस ले आए। अब जबसे ये धर्मांतरण का मामला सामने आया है तो सारे बच्चों से बात की बच्चे अपने घर सुरक्षित हैं।
रिपोर्ट जिला विकलांग कल्याण अधिकारी को भी दे दी है। बच्चे बताते थे वहां की पढ़ाई, सुविधाएं बहुत अच्छी हैं। ऐसे बच्चों को नौकरी भी दिलाते हैं। अमीर परिवार अच्छी पढ़ाई के लिए बच्चे को वहां भेजते, गरीबों को नौकरी, खाना, आराम से रहने का लालच आ जाता है। आजादी के माहौल से ये बच्चे जल्दी प्रभाव में आ जाते हैं।
अच्छा खाना, आजादी, सुविधा से करते थे ब्रेनवॉश
डॉ. अमिता कहती हैं कई बच्चों से डेफ सोसाइटी के माहौल के बारे में यही बताया वहां अच्छा खाना, कपड़े, आजादी, सुविधाएं दी जाती थी। गरीब बच्चों को सारी सुविधाएं देकर ब्रेनवॉश किया जाता। जिन बच्चों को उनके परिजन दिव्यांग समझकर छोड़ देते हैं ऐसे बच्चे जल्दी प्रभाव में आते हैं। गरीब बच्चों पर उनका फोकस रहता था। वहां की सुविधाएं, नौकरी और आजादी के कारण कई बच्चे वहां जाना चाहते थे। मूकबधिर बच्चों में डेफ सोसाइटी में पढ़ना सपना बन गया है।
लॉकडाउन ने बचा लिया मेरा बेटा
मुजफफरनगर की रहने वाली सीमा महतो का 18 साल का बेटा अमन महतो मेरठ कैंट के मूकबधिर विद्यालय मे पंढ़ता है। मार्च 2020 में अमन भी 12वीं की पढ़ाई और कंप्यूटर सीखने के लिए डेफ सोसाइटी नोएडा गया था। मां सीमा ने बताया कुल 05 दिन बेटा वहां रह पाया। हमें तो सरकारी नौकरी का लालच था, बेटा वहां पढ़ेगा कुछ सीखेगा सरकारी नौकरी मिलेगी इसकी जिंदगी बन जाएगी।
स्कूल की फीस भी भर दी थी। तभी लॉकडाउन लगा ओर बेटे को वापस ले आए। बेटा बताता था वहां खाना, रहना बहुत अच्छा था, पढ़ाते भी थे। नौकरी के लिए भेजते भी थे। मैंने भी यही चाहा था। जबसे वहां धर्म बदलने की बात पता चली है तो लगता है बेटा सही समय पर लौट आया। साभार-दैनिक भास्कर
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