Delta Plus Variant: कोविड के डेल्टा प्लस वेरिएंट से कैसे बचें और क्या रखें सावधानी, बता रहे हैं एक्सपर्ट

पढ़िए  दैनिक जागरण की ये खबर…

Delta Plus Variant सिर्फ भारत में ही महाराष्ट्र केरल और मध्य प्रदेश सहित 12 राज्यों में डेल्टा प्लस संक्रमण के लगभग 48 मामलों का पता चला है। जागरण डायलॉग्स के नए एपिसोड में बात की कोविड-19 के नए वेरिएंट डेल्टा प्लस के बारे में।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट के आने से एक बार फिर भारत के साथ और दुनिया भर के कई देशों में हाई अलर्ट की स्थिति हो गई है।

सिर्फ भारत में ही, महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश सहित 12 राज्यों में डेल्टा प्लस संक्रमण के लगभग 48 मामलों का पता चला है। जागरण डायलॉग्स के नए एपिसोड में बात की कोविड-19 के नए वेरिएंट डेल्टा प्लस के बारे में। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से कोविड-विशिष्ट जागरण डायलॉग्स का आयोजन किया जा रहा है।

कोविड का नया वेरिएंट क्या है, कितना ख़तरनाक है और डेल्टा प्लस संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए कैसे कदम उठाने ज़रूरी हैं, इसे समझने के लिए जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर Pratyush Ranjan ने डॉ. सौमित्र दास से बातचीत की। डॉ. दास नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के निदेशक हैं और बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर हैं।

पेश हैं बातचीत के कुछ अंश:

सवाल: पहले एल्फा वेरिएंट, फिर डेल्टा और अब कोविड-19 का डेल्टा प्लस वेरिएंट? इसका क्या मतलब है? यह नया डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है?

डॉ. सौमित्र दास: इस वायरस को हम पिछले डेढ साल से झेल रहे हैं। यह Rna वायरस है, इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ये रूप बदल रहा है और इसके नए-नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं। इसके एंजाइम्स की प्रतिकृति बनती है, इस दौरान होने वाली ग़लतियों की वजह से वायरस का रूप बदल जाता है। यह म्यूटेशन वायरस को बेहतर तरीके से संक्रमित करने में मदद भी करते हैं। जो म्यूटेशन वायरस की मदद नहीं कर करते हैं, वायरस उन्हें कैरी ही नहीं करता। सबसे पहले था वुहान स्ट्रेन, उसके बाद आया था D641G, जो पूरे भारत में फैला। फिर साल 2020 के अंत में यूके का वेरिएंट एल्फा आया था, फिर साउथ अफ्रीका से बीटा वेरिएंट आ गया। इस बीटा वेरिएंट ने म्यूटेट किया, जो व्यक्ति के शरीर की इम्यूनिटी से बचकर संक्रमित करने में सफल रहा। फिर ब्राज़ील में पाए गए वेरिएंट को गामा का नाम दिया। फिर मुंबई में कोविड का नया वेरिएंट मिला, जिसे शुरुआत में डबल म्यूटेंट कहा जा रहा था और उसके बाद उसे डेल्टा वेरिएंट का नाम दिया गया। डेल्टा अब तक का सबसे ताकतवर वेरिएंट साबित हुआ है, जो बाकी सभी वेरिएंट्स को पूछे छोड़ आगे बढ़ रहा है।

सवाल: वायरस कैसे रूप बदलते हैं? कोविड -19 वायरस क्यों और कैसे है एक के बाद एक नए रूप बलदकर सामने आ रहा है?

डॉ. सौमित्र दास: इस वायरस का जो एंज़ाइम है, इसमें ग़लतियों की गुंजाइश होती है। जब जिनोम Rna की कॉपी बनती है, तो उसमें ग़लती हो जाती है। इन ग़लतियों की वजह से म्यूटेशन घुस जाती है। इनमें से जो वायरस की मदद करते हैं, वे रह जाते हैं, बाकी कैरी नहीं होते। इन म्यूटेशन की वजह से कई बार वायरस ख़तरनाक बन जाते हैं, लेकिन कई बार इनका कोई असर नहीं होता।

सवाल: सरकार कोविड -19 वायरस म्यूटेशन पर कैसे नजर रखती है? इसकी क्या प्रक्रिया है?

डॉ. सौमित्र दास: भारत सरकार ने एक कन्सॉर्शीअम बनाया है, जिसमें कई वैज्ञानिकों के साथ कई एजेंसियां शामिल हो चुकी हैं। इसके 10 सेंटर्स थे जिसमें हाल ही में 18 और शामिल हुए हैं। कुल मिलाकर अब 28 सेंटर्स बन गए हैं। अब हम देश के सभी ज़िलों पर नज़र रख पाएंगे। हम नमूनों को लेकर उसकी Rna सीक्वेंसिंग करते हैं और देखते हैं कि उसमें कहीं कोई म्यूटेशन तो नहीं आ गया है। जैसे कि हम एल्फा, बीटा या गामा म्यूटेशन के बारे में जानते हैं, तो यह म्यूटेशन्स कहीं भारत में तो नहीं आ गया है या फिर इनके अलावा कोई नया म्यूटेशन तो नहीं है, इसकी जांच करते हैं।साभार-दैनिक जागरण

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