Ghaziabad News: मरीजों से अधिक वसूली की जांच शुरू, निजी कोविड अस्पतालों को 5-5 सबसे बड़े बिल जमा करने के निर्देश

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अस्पतालों को बिल भेजने के लिए 25 जून तक का समय दिया गया है। यदि कोई अस्पताल बिल नहीं भेजता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग को इस दौरान निजी कोविड अस्पतालों की ओर से अधिक शुल्क लेने की 20 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं, जिन्हें कमिटी को भेजा गया है।

गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण काल के दौरान मरीजों से ज्यादा बिल वसूलने के मामले में प्रशासन की ओर से जांच शुरू कर दी गई है। इसके लिए तीन सदस्यीय कमिटी का गठन किया गया है। कमिटी में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को भी शामिल किया गया है। कमिटी ने जिले के सभी निजी कोविड अस्पतालों को पिछले दो महीनों के दौरान मरीजों को जारी किए सबसे ज्यादा राशि वाले पांच बिल सबमिट करने के निर्देश दिए हैं।

ज्यादा राशि वाले बिलों की जांच के लिए गठित की गई कमिटी में नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर, सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता और मुख्य कोषाधिकारी लक्ष्मी मिश्रा को शामिल किया गया है। हालांकि सीएमओ ने उनके स्थान पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार को नामित किया है। यह समिति निजी कोविड अस्पतालों से जारी हुए ज्यादा राशि वाले बिलों की जांच करेगी। जांच के दौरान यदि अनावश्यक शुल्क लगाया गया होगा तो अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मुझे शिकायतें मिली थीं कि कोविड उपचार के दौरान कुछ निजी अस्पतालों ने मरीजों से मनमानी वसूली की। इनके आधार पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इलाज करने वाले सभी अस्पतालों के बिलों की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।
अतुल गर्ग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री
सूत्र बताते हैं कि 20 से ज्यादा अस्पतालों ने सबसे अधिक राशि वाले 5-5 बिल भेज भी दिए हैं। अस्पतालों को बिल भेजने के लिए 25 जून तक का समय दिया गया है। यदि कोई अस्पताल बिल नहीं भेजता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग को इस दौरान निजी कोविड अस्पतालों की ओर से अधिक शुल्क लेने की 20 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं, जिन्हें कमिटी को भेजा गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार अब तक अस्पतालों से 10 लाख रुपए से अधिक की राशि वापस भी करवाई जा चुकी है।

सूत्रों के अनुसार विधायकों और जनप्रतिनिधियों द्वारा जिला प्रशासन से निजी चिकित्सा सुविधाओं से अधिक बिलिंग की शिकायत करने के बाद समिति का गठन किया गया है। वहीं, आईएमए ने इस कार्रवाई को निजी अस्पतालों पर जबरन दबाव बनाने वाला बताया है। आईएमए अध्यक्ष डॉ. आशीष अग्रवाल ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिले में 50 निजी कोविड अस्पतालों में डॉक्टर्स और स्टाफ ने दिन-रात काम किया।

अस्पतालों से पांच-पांच बड़ी रकम के बिल मांगे गए हैं। इनमें सारा विवरण भी देना होगा। यदि इसमें निर्धारित शुल्क या बिना किसी कारण के खर्च मिलता है, तो अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
राकेश कुमार सिंह, जिलाधिकारी गाजियाबाद

इस दौरान बहुत से गंभीर मरीजों की जान बचाई। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों में संसाधन और उपकरण महंगे आते हैं और कोरोना काल में कर्मचारियों ने अपने वेतन में तीन गुना बढ़ोतरी की मांग भी की। इस दौरान जरूरी उपकरणों के दाम भी बहुत ज्यादा बढ़ गए थे। ऐसे में जांच के दौरान इस बातों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इलाज की दरें तय करने में शासन या प्रशासन की ओर से कभी भी अस्पतालों से सलाह नहीं ली जाती है। साभार-नवभारत टाइम्स

 

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