गाजियाबाद: बिजली चोरी मामले में रिश्वतखोरी का पर्दाफाश, जेई निलंबित

गाजियाबाद:- मुरादनगर क्षेत्र में बिजली चोरी के एक मामले ने नया मोड़ ले लिया जब अवर अभियंता (जेई) द्वारा कार्रवाई रोकने के लिए दो लाख रुपये की रिश्वत मांगने का खुलासा हुआ। मामला सामने आने के बाद जोन-2 के अधीक्षण अभियंता ने जेई समरजीत को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
मामला: चोरी पकड़ने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
19 दिसंबर को डासना देहात उपकेंद्र के अवर अभियंता समरजीत ने उस्मान कॉलोनी निवासी कासिम के घर पर बिजली चोरी पकड़ी थी। नियमानुसार, पकड़ी गई चोरी की जानकारी 12 घंटे के भीतर आरएमएस पोर्टल पर अपडेट करनी होती है और तीन दिनों के भीतर उपभोक्ता पर राजस्व निर्धारण करना अनिवार्य है। लेकिन, जेई ने इन निर्देशों की अनदेखी करते हुए, मामले को निस्तारित करने के लिए कासिम से दो लाख रुपये की रिश्वत की मांग की।
ऑडियो वायरल होने से खुली पोल
मामले की जांच के दौरान दो ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आईं, जिनमें जेई समरजीत साफ तौर पर मामले को रफा-दफा करने के बदले रिश्वत मांगते हुए सुनाई दिए। यह ऑडियो वायरल होने के बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की। जोन-2 के अधीक्षण अभियंता राजेंद्र कुमार ने बताया कि विभागीय जांच में जेई की अनियमितता और रिश्वतखोरी की पुष्टि होने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है।
नियमों की अनदेखी और भ्रष्टाचार का मामला
बिजली विभाग के नियमों के अनुसार, चोरी पकड़ने के बाद इसे 12 घंटे के भीतर पोर्टल पर दर्ज करना और तीन दिनों के भीतर आवश्यक कार्रवाई करना जरूरी है। लेकिन जेई ने इन प्रक्रियाओं का पालन न करते हुए, व्यक्तिगत लाभ के लिए रिश्वत मांगने का प्रयास किया। विभाग ने इसे गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार मानते हुए सख्त कदम उठाया।
सख्त संदेश और सुधार का प्रयास
इस घटना ने बिजली विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार और पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर किया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई होगी। अधीक्षण अभियंता ने कहा कि उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा और अनियमितता करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
जनता को सतर्क रहने की अपील
विभाग ने जनता से अपील की है कि यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी रिश्वत मांगता है तो उसकी सूचना तुरंत विभाग को दें। विभागीय शिकायत पोर्टल और हेल्पलाइन नंबरों के जरिए शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जा रही है। विभाग की इस सख्त कार्रवाई से भ्रष्टाचारियों में भय और जनता में विश्वास बहाल होने की उम्मीद है।
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