बच्चों के लिए दूसरा टीका:ब्रिटेन ने बच्चों को फाइजर का टीका लगाने की मंजूरी दी, एम्स ने कहा- भारत में भी बच्चों को ये वैक्सीन दी जाएगी

पढ़िये दैनिक भास्कर की ये खबर….

ब्रिटेन में 12 से 15 साल के बच्चों को फाइजर बायोएनटेक की वैक्सीन को ड्रग रेगुलेटर ने मंजूरी दे दी है। मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी की CEO जून राइन ने बताया कि, फाइजर की वैक्सीन सुरक्षित और असरदार है। इससे पहले यूरोपीयन यूनियन और अमेरिका में इस एज ग्रुप के लिए फाइजर को मंजूरी दी जा चुकी है।

इधर, भारत में भी 2 से 18 साल के बच्चों पर कोवैक्सिन के ट्रायल जारी हैं। इस बीच बच्चों के लिए एक और वैक्सीन जल्द मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। AIIMS डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि अमेरिकी कंपनी फाइजर की वैक्सीन भी बच्चों को लगाई जा सकेगी।

गुलेरिया ने CNN-न्यूज 18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ये पहला मौका नहीं है, जब भारत ने किसी वैक्सीन को बिना ट्रायल के ग्रीन सिग्नल दिया हो। केंद्र ने पहले भी ऐसी वैक्सीन को मंजूरी दी है, जिन्हें अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, WHO द्वारा इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी जा चुकी है। ऐसे में हमें लगता है कि जल्द ही भारत में वयस्कों और बच्चों के लिए एक और वैक्सीन मौजूद होगी। फाइजर का टीका जल्द भारत आने वाला है।

लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में कोरोना वैक्सीन ड्राइव चलाई गई।

अपडेट

  • ब्रिटेन ने 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। UK की मेडिसिन्स और हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी ने शुक्रवार को इसे मंजूरी दी। एजेंसी ने कहा कि फाइजर की वैक्सीन सुरक्षित और असरदार है।

पहले फाइजर का डेटा नहीं था, अब मौजूद है- गुलेरिया
गुलेरिया ने बताया कि फाइजर और मॉडर्ना जैसी वैक्सीन को भारत लाने में शुरुआती देरी इसलिए हुई, क्योंकि वैक्सीन के बारे में कोई डेटा नहीं था। उन्होंने कहा कि अब हमारे पास इस बात का डेटा है कि ये वैक्सीन कितनी सेफ है। पहले यूरोप में इसके साइड इफेक्ट की खबरें आई थीं। अब अमेरिका और ब्रिटेन में वैक्सीनेशन का डेटा मौजूद है। जब हमारी कमेटी को ये पता चल गया कि भारत में इसका इस्तेमाल सेफ रहेगा, तो इसे लाने को लेकर मंजूरी दी गई।

बच्चों पर स्वदेशी टीके का ट्रायल जारी
2 से 18 साल के बच्चों के लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का ट्रायल जारी है। 525 स्वास्थ्य वॉलंटियर्स पर इस वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है। पहली डोज देने के 28 दिन बाद इन वॉलंटियर्स को दूसरी डोज दी जाएगी। ट्रायल के दौरान कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, ये ट्रायल रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि बच्चों पर कोवैक्सिन का ट्रायल नरसंहार की तरह होगा।

मॉडर्ना और फाइजर पर अभी क्या स्थिति है?
मॉडर्ना और फाइजर उन कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत सरकार से अपील की थी कि वह हर्जाने और इमरजेंसी यूज की इजाजत देने के बाद होने वाले लोकल ट्रायल की बाध्यता को खत्म करे। साभार-दैनिक भास्कर

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