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इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा कि नियमावली में इंटरमीडिएट के साथ प्रशिक्षण सहायक अध्यापक बनने की अर्हता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस एसडी सिंह की बेंच ने यह व्यवस्था प्रिया देवी की याचिका पर दी है. दरअसल, स्नातक होने के बाद प्रशिक्षण न होने के आधार पर याची को नियुक्ति नहीं दी गई थी. हाईकोर्ट ने इसे भी गलत ठहराया है. बता दें कि नियुक्ति पात्रता 45 फीसद अंक के साथ 10+2 और प्रशिक्षण है. इंटरमीडिएट के बाद एनसीटीई ने मान्य शिक्षा डिप्लोमा धारक को भर्ती में नियुक्त करने से इनकार करना सही नहीं है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अमेठी के बीएसए को याची को नियुक्ति देने का निर्देश दिया है.
ऐसे में याची को नियुक्ति देने से इंकार करना गलत है
याचिका पर अधिवक्ता मान बहादुर सिंह ने बहस की.याची का कहना था कि याची का चयन सहायक अध्यापक भर्ती में किया गय. काउन्सिलिंग के बाद यह कहते हुए नियुक्ति देने से इंकार कर दिया कि नियमानुसार स्नातक के बाद प्रशिक्षण मान्य अर्हता है. किन्तु याची ने इंटरमीडिएट के बाद प्रशिक्षण हासिल किया है, जिसे चुनौती दी गयी थी. कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर विक्रम सिंह केस में पहले ही व्याख्या कर दी है, जिसके तहत सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की न्यूनतम अर्हता इंटरमीडिएट के साथ प्रशिक्षण डिग्री है. ऐसे में याची को नियुक्ति देने से इंकार करना गलत है.साभार- न्यूज़18
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