भारत की चिकन नेक: एक परिचय

भारत का “चिकन नेक,” जिसे सिलिगुड़ी कॉरिडोर भी कहा जाता है, सामरिक, आर्थिक और भौगोलिक दृष्टि से देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह केवल 22 किमी चौड़ा भूभाग पश्चिम बंगाल में स्थित है, जो भारत के मुख्य भाग को उसके पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है। नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से घिरे इस क्षेत्र की संवेदनशीलता और महत्व इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक प्रमुख केंद्र बनाते हैं।
आतंकी खतरे और उनकी साजिशें
हाल के वर्षों में सिलिगुड़ी कॉरिडोर को निशाना बनाने की आतंकवादी गतिविधियां बढ़ी हैं।
1. आतंकवादी योजनाएं
इस्लामी आतंकवादी संगठनों ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को मुख्य भूमि से अलग-थलग करने की योजनाएं बनाईं।
2024 में गिरफ्तार आतंकवादियों ने खुलासा किया कि वे आधुनिक विस्फोटकों और हमलों के जरिये क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने की साजिश कर रहे थे।
आतंकवादी बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते भारत में प्रवेश कर स्थानीय विद्रोही संगठनों के साथ संबंध स्थापित कर रहे थे।
2. सीमा का दुरुपयोग
बांग्लादेश की सीमा पर स्थित मदरसों और छिपे ठिकानों का आतंकवादियों ने उपयोग किया।
भारत और बांग्लादेश की संयुक्त कार्रवाई ने कई ठिकानों को उजागर कर ध्वस्त किया।
3. अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क
ISIS और अल-कायदा जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का समर्थन आतंकवादी गतिविधियों को और खतरनाक बना रहा है।
इन संगठनों ने क्षेत्र में सामाजिक-धार्मिक ध्रुवीकरण करने का भी प्रयास किया।
भारत के सुरक्षा प्रयास
“चिकन नेक” की सुरक्षा के लिए भारत ने कई प्रमुख कदम उठाए हैं।
1. खुफिया तंत्र का सुदृढ़ीकरण
राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी (NIA) और अन्य एजेंसियों ने इस क्षेत्र में निगरानी बढ़ाई है।
ड्रोन, रडार और उन्नत निगरानी उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।
2. आतंकवादी ठिकानों पर कार्रवाई
सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने बांग्लादेश सीमा के पास आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया।
ऑपरेशन ग्रीन हंट जैसे अभियानों के तहत कई संदिग्ध गिरफ्तार हुए।
3. सामरिक सहयोग
भारत ने बांग्लादेश और भूटान के साथ सीमा प्रबंधन और सुरक्षा पर समझौते किए।
सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी की गई है और सूचना साझेदारी को बेहतर बनाया गया है।
4. स्थानीय आबादी की भागीदारी
सरकार ने स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाकर उन्हें सुरक्षा प्रयासों में भागीदार बनाया है।
शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाकर उग्रवाद की जड़ें कमजोर की जा रही हैं।
भविष्य की रणनीति और चुनौतियां
सिलिगुड़ी कॉरिडोर की सामरिक स्थिति इसे आतंकवादी गतिविधियों और बाहरी हस्तक्षेप के लिए संवेदनशील बनाती है। भारत को इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए लगातार सतर्क रहना होगा।
सीमाओं पर निगरानी बढ़ाना: अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए सीमाओं को और सुरक्षित करना जरूरी है।
पड़ोसी देशों के साथ सहयोग: भारत-बांग्लादेश और भारत-भूटान जैसे संबंधों को मजबूत बनाना।
स्थानीय स्तर पर विकास: स्थानीय समुदायों को सुरक्षा प्रयासों में भागीदार बनाने के लिए शिक्षा और रोजगार को प्राथमिकता देना।
“चिकन नेक” केवल एक भूभाग नहीं, बल्कि भारत के पूर्वोत्तर और मुख्य भूमि के बीच की जीवनरेखा है। आतंकी खतरों और बाहरी हस्तक्षेप के बावजूद, भारत ने सुरक्षा और विकास के जरिए इस क्षेत्र को सुरक्षित रखने में उल्लेखनीय सफलता पाई है। सतर्कता, सहयोग और सामरिक कदमों के माध्यम से इसे संरक्षित रखना देश की प्राथमिकता होनी चाहिए।
Exit mobile version