कांग्रेस के सीनियर नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अतीत को कभी छुपाया नहीं.
आज़ाद ने जम्मू में एक कार्यक्रम में कहा, ”मुझे कई नेताओं में कई चीज़ें अच्छी लगती हैं. मैं गाँव से हूँ और मुझे इसे लेकर गर्व है. जैसे हमारे प्रधानमंत्री हैं. वे ख़ुद कहते हैं कि वे कुछ भी नहीं थे, बर्तन मांजते थे और चाय बेचते थे. हम सियासी तौर से उनके ख़िलाफ़ हैं लेकिन कम से कम जो अपनी असलियत है, उसको नहीं छुपाते.”
”जो अपनी असलीयत छुपाते हैं, वो भ्रम में रहते हैं. आदमी को अपने अतीत पर गर्व होना चाहिए. मैं दुनिया भर के कई देशों में गया. फ़ाइव स्टार और सेवन स्टार होटल में भी रहा. लेकिन जब मैं अपने गाँव के लोगों के साथ बैठता हूँ, भले उनके कपड़े कम धुले हों लेकिन उसकी एक अलग ख़ुशबू होती है और मज़ा आ जाता है.”
इससे पहले फ़रवरी में ही ग़ुलाम नबी आज़ाद ने राज्यसभा से विदाई के दौरान अपने भाषण में पीएम मोदी से अच्छे संबंधों के कई वाक़ये सुनाए थे. पीएम मोदी और ग़ुलाम नबी आज़ाद ने दोनों-एक दूसरे की ख़ूब तारीफ़ की थी.
ग़ुलाम नबी आज़ाद की यह टिप्पणी तब आई है जब कांग्रेस नेताओं के एक समूह, जिसे जी-23 कहा जा रहा है, ने शनिवार को जम्मू में बैठक की थी. इस समूह में कांग्रेस कई बड़े नेता शामिल हैं और राहुल गाँधी से मतभेद की बात कही जाती है.
#WATCH I like lot of things about many leaders. I'm from village & feel proud… Even our PM hails from village & used to sell tea. We're political rivals but I appreciate that he doesn't hide his true self. Those who do, are living in bubble: Congress' Ghulam Nabi Azad in Jammu pic.twitter.com/8KKIYOwzZB
— ANI (@ANI) February 28, 2021
जी-23 की बैठक में ग़ुलाम नबी आज़ाद को पार्टी का नेतृत्व करने के तौर पर भी आगे किया गया था. जी-23 की बैठक को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से खुले विद्रोह के तौर पर देखा जा रहा है.
कांग्रेस में इस तरह के मतभेद के कारण दूसरी पार्टियों के नेता भी चिंतित दिख रहे हैं. नेशनल कॉन्फ़्रेंस प्रमुख डॉ फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि कांग्रेस को बाँटने वाली ताक़तों से लड़ने के लिए एकजुट रहने की ज़रूरत है.
फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ”मुल्क में बाँटने वाली शक्तियों से लड़ने के लिए एकजुट रहने की ज़रूरत है. कांग्रेस को भी एकजुट और मज़बूत होने की ज़रूरत है. लोग कांग्रेस की तरफ़ देख रहे हैं. कांग्रेस 130 साल पुरानी पार्टी है.”
जम्मू में शनिवार को कांग्रेस के जी-23 नेताओं की बैठक के बाद साफ़ हो गया है कि पार्टी गंभीर समस्या से जूझ रही है और मतभेद अब पर्दे से बाहर आ चुके हैं. जम्मू में इन नेताओं ने पूरी ताक़त दिखाई. ग़ुलाम नबी आज़ाद राज्यसभा से सांसद से रिटायर हो चुके हैं लेकिन वो पार्टी को चुनौती देते दिख रहे हैं.
जी-23 को लेकर कांग्रेस के नेता बहुत नपे-तौले अंदाज़ में बोल रहे हैं और किसी भी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को लेकर ख़ामोश हैं.
शनिवार को जी-23 की बैठक में पार्टी के कई सीनियर नेता शरीक हुए. इनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, राज बब्बर, विवेक तंखा के अलावा ग़ुलाम नबी आज़ाद भी शामिल हुए. पिछले साल अगस्त में सोनिया गाँधी को पार्टी के पूर्णकालिक और मुखर अध्यक्ष सुनिश्चत करने के लिए लिखे पत्र के बाद जी-23 नेताओं की यह पहली सार्वजनिक बैठक थी.
ग़ुलाम नबी आज़ाद को फिर से राज्यसभा भेजने पर कांग्रेस ख़ामोश है. जी-23 के बाक़ी नेता भी पार्टी से ख़ुद को अलग-थलग पा रहे हैं. आज़ाद ने शनिवार को रैली में कहा कि वो राज्यसभा से रिटायर हो सकते हैं लेकिन राजनीति से रिटायर नहीं हुए हैं. इस रैली में कांग्रेस के एक और सीनियर नेता आनंद शर्मा ने भी दो टूक भाषण दिया. आनंद शर्मा ने कहा, ”एक पार्टी पद और रैंक दे सकती है लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि जिन्हें पद दिया जाता है, वे जननेता बन जाएंगे.”
शर्मा ने कहा कि यहाँ जो भी नेता आए हैं उन्होंने कांग्रेस में राजनीति की शुरुआत यूथ कांग्रेस से की थी. आनंद शर्मा ने रैली में कहा था, ”मैंने यह अधिकार किसी को नहीं दिया है कि कोई हमें बताए कि हम कांग्रेस के सदस्य हैं या नहीं. हमने इस पार्टी को बनाया है और मज़बूत किया है. हम कांग्रेस में एकता पर भरोसा करने वाले लोग हैं.”
रैली में कपिल सिब्बल ने कहा, ”यह सच्चाई है कि कांग्रेस कमज़ोर हो रही है. इसीलिए हम यहाँ जुटे हैं. हम इससे पहले भी एक साथ बैठे थे और हमने साथ मिलकर पार्टी को मज़बूत किया था.”
सिब्बल ने कहा, ”विमान में उड़ान भरने के लिए एक अनुभवी पायलट की ज़रूरत पड़ती है. विमान ठीक से काम करे उसके लिए एक इंजीनियर की भी ज़रूरत होती है. ग़ुलाम नबी आज़ाद दोनों भूमिका आसानी से निभा सकते हैं. आज़ाद देश के हर राज्य के हर ज़िले तक में कांग्रेस को अच्छी तरह से समझते हैं. हमें दुख हुआ जब पता चला कि संसद से वे रिटायर हो गए हैं. हम नहीं चाहते कि आज़ाद संसद से बाहर जाएं. मैं समझ नहीं पा रहा कि कांग्रेस उनके अनुभव का फ़ायदा क्यों नहीं उठा पा रही है.”
अपने सीनियर कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, ”मेरे जितने भी साथी यहाँ हैं, इनमें से किसी ने भी संसद में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर मुझसे कम नहीं बोला है. सबने यहाँ की बेरोज़गारी, उद्योग, शिक्षा और पूर्ण राज्य का दर्ज ख़त्म करने का मुद्दा ज़ोर-शोर से उठाया.”
जम्मू में जी-23 नेताओं की बैठक को लेकर दिल्ली में कांग्रेस की तरफ़ से सधी हुई प्रतिक्रिया आई. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जम्मू रैली में शामिल हुए सभी नेता कांग्रेस परिवार के हिस्सा हैं.”
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ”जम्मू में जितने भी नेता शामिल हुए सभी पार्टी के सम्मानित सीनियर नेता हैं. पार्टी में इनका होना हमारे लिए गर्व की बात है. ये सभी कांग्रेस परिवार के हिस्सा हैं.”
ग़ुलाम नबी आज़ाद के अनुभव का इस्तेमाल नहीं करने वाली सिब्बल की टिप्पणी पर सिंघवी ने कपिल सिब्बल का बिना नाम लिए कहा, ”जो ऐसा कह रहे हैं, वे कांग्रेस के इतिहास की उपेक्षा कर रहे हैं. आज़ाद कांग्रेस से क़रीब 40 सालों तक संसद में रहे. उन्हें सोनिया गाँधी ने जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया. इंदिरा गाँधी के वक़्त से कांग्रेस की सरकार और पार्टी में उन्हें अहम ज़िम्मेदारियाँ दी गईं.”
इन नेताओं के ख़िलाफ़ किसी भी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर सिंघवी ने कुछ भी नहीं कहा.साभार-बीबीसी न्यूज़ हिंदी
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