UP Panchayat Elections: बीजेपी से जुड़े गाजियाबाद (Ghaziabad news) लोनी के एक नेता ने कहा कि उनके क्षेत्र में पहले से ही बीजेपी नेताओं के बीच काफी खींचतान है। ऐसे में किसान आंदोलन (Farmers protest) का असर उनके चुनाव पर पड़ सकता है, इसीलिए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बैठकें तो शुरू कर दी हैं, लेकिन बीजेपी नेताओं से दूरी रख रहे हैं।
हाइलाइट्स:
- गाजियाबाद में पहले चरण में हो सकते हैं पंचायत चुनाव
- पंचायत चुनाव को लेकर सभी दलों के प्रत्याशी अभियान में जुटे
- बीजेपी समर्थित प्रत्याशियों ने पार्टी से बनाई दूरी, व्यक्तिगत संबंधों पर कर रहे मीटिंगे
- किसान आंदोलन के चलते डरे बीजेपी के पंचायत चुनाव प्रत्याशी
गाजियाबाद। कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 3 महीने से चल रहे किसान आंदोलन का असर जिला पंचायत चुनावों में नजर आने लगा है। हालांकि अभी किसी भी राजनीतिक दल ने अपने समर्थित प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, लेकिन मैदान में उतरने वाले बाहुबलियों ने तैयारी तेज कर दी है।
इसका असर शादी से लेकर गांवों की बैठकों में दिखने लगा है। इस चुनाव में सबसे ज्यादा परेशान बीजेपी के समर्थन से चुनाव लड़ने का प्लान बना चुके प्रत्याशी हैं। जिस प्रकार से किसानों में बीजेपी सरकार को लेकर नाराजगी है, उन्हें डर है कि बीजेपी का समर्थन उन्हें उल्टा न पड़ जाए।
उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग ने गाजियाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनारक्षित कर दिया है, लेकिन अभी वॉर्ड स्तर पर आरक्षण को लेकर फैसला होना बाकी है, जो 2 मार्च को हो सकता है। चुनाव पहले ही चरण में 5 अप्रैल को होने की उम्मीद हैं।
बिना बीजेपी समर्थन के चुनाव लड़ने की योजना
राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ समय से किसान आंदोलन को लेकर जिस प्रकार से ग्रामीण इलाकों में बीजेपी के विरोध में पोस्टर-बैनर लगे हैं और पंचायतें हुईं, उनको लेकर अभी तक बीजेपी के समर्थन में चुनाव में उतरने वाले संभावित प्रत्याशी अब तनाव में हैं।
उन्हें डर है कि यदि उन्होंने बीजेपी के समर्थन की घोषणा कर दी तो कहीं पासा उल्टा ही न पड़ जाए। पिछले दिनों जिस प्रकार से मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों में बीजेपी नेताओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं हुईं, उसको लेकर प्रत्याशी वॉर्ड का चुनाव बिना समर्थन के लड़ने और बाद में बीजेपी सरकार से सत्ता बल हासिल करने की योजना बना रहे हैं।
व्यक्तिगत संबंधों पर जोर
बीजेपी से जुड़े एक नेता का कहना है कि चूंकि जिला पंचायत अध्यक्ष सीट सत्तारूढ़ दल से जुड़े मेंबर को ही मिलती रही है। हालांकि यदि चुनाव ही न जीते तो कैसे सत्ता की ताकत का लाभ उठा पाएंगे। इसलिए उन्होंने अभी से ऐसी रूपरेखा तैयार की है कि चुनाव में बीजेपी के समर्थन की बजाय व्यक्तिगत और संपर्कों के आधार पर चुनाव लड़ें जिससे बीजेपी के विरोध में बने माहौल का असर उनके चुनाव पर न पड़े।
किसान आंदोलन का पड़ सकता है असर
बीजेपी से जुड़े गाजियाबाद लोनी के एक नेता ने कहा कि उनके क्षेत्र में पहले से ही बीजेपी नेताओं के बीच काफी खींचतान है। ऐसे में किसान आंदोलन का असर उनके चुनाव पर पड़ सकता है, इसीलिए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बैठकें तो शुरू कर दी हैं, लेकिन बीजेपी नेताओं से दूरी रख रहे हैं।
बैठकों में भी वह किसान आंदोलन की चर्चा से बचते हैं। इसकी जानकारी बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व को भी है। वह इसका तोड़ निकालने में जुटे हैं।
बीजेपी की नीति, जो जीतेगा वह हमारा
जिला पंचायत चुनाव की रणनीति बनाने वाले एक नेता का कहना है कि पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकार मान चुके हैं कि किसान आंदोलन इस चुनाव में खराब असर दिखाएगा। इसलिए विचार किया जा रहा है कि यदि किसान आंदोलन समाप्त नहीं होता है तो किसी भी प्रत्याशी का खुला समर्थन देने की बजाए जो जीते और वह अध्यक्ष पद मजबूती से लड़ने की काबलियत रखता हो तो उसे ही अपना लिया जाए। हालांकि अभी इस पर वरिष्ठ नेताओं को निर्णय लेना बाकी है।साभार-दैनिक भास्कर
आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें।हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad