एथलेटिक्स के अलावा पूजा को बॉडी बिल्डिंग का भी शौक है। उनके सिक्स पैक एब्स देखकर कोई भी हैरान रह जाए। इसके लिए कड़ी मेहनत के साथ उचित डाइट लेती हैं। हर दिन सुबह तीन बजे से ट्रेनिंग करती हैं पूजा।
तीन साल की उम्र में खेल-खेल में लड़कों के साथ रेस लगाया करती थीं जोधपुर की पूजा बिश्ननोई। लेकिन छह वर्ष की आयु में जोधपुर मैराथन में 10 किलोमीटर की दौड़ करीब 48 मिनट में पूरी कर उन्होंने अपनी प्रतिभा से सबको हैरान कर दिया। आज नौ वर्ष की हो चुकीं पूजा का सपना ओलंपिक में भाग लेना और देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। जोधपुर के निकट एक छोटे से गांव गुड़ा बिश्नोइया के किसान परिवार से आने वाली पूजा बताती हैं कि वह यूं ही लड़कों के साथ रेस लगाया करती थीं और उसमें हार जाती थीं। तब दुख होता था। एक दिन उन्होंने मामा सरवन बुदिया (पूर्व एथलीट) से अपनी परेशानी साझा की और आग्रह किया कि वह उन्हें प्रशिक्षित करें।
सरवन जोधपुर स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया से जुड़े थे। लेकिन एक दुर्घटना के बाद उनका दौड़ना छूट गया। पूजा के इच्छा जाहिर करने से उन्हें लगा कि वे अपने अधूरे सपने को पूरा कर सकते हैं और बहन का कर्ज भी उतार सकते हैं, जिसने उनके करियर को लेकर अनेक त्याग किए। इस तरह पूजा की ट्रेनिंग शुरू हुई। करीब एक महीने के बाद जब दोबारा से लड़कों के साथ प्रतियोगिता करायी,तो वह सबसे आगे थीं। इसके बाद तो कभी पीछे मुड़कर देखना नहीं हुआ।
हर दिन सुबह तीन बजे से शुरू होती है ट्रेनिंग
एथलेटिक्स के अलावा उन्हें बॉडी बिल्डिंग का भी शौक है। उनके सिक्स पैक एब्स देखकर कोई भी हैरान रह जाए। इसके लिए कड़ी मेहनत के साथ उचित डाइट लेती हैं। अपने फिटनेस रूटीन के बारे में बताती हैं पूजा,‘मैं जब पांच वर्ष की थी, तभी सिक्स पैक ऐब्स बनाए थे। हर दिन सुबह तीन बजे से ट्रेनिंग करती हूं,जो सात या आठ बजे तक चलती है। फिर अपनी ऑनलाइन क्लासेज ज्वाइन करती हूं। दोपहर में कुछ देर आराम करने के बाद शाम को फिर से अभ्यास करती हूं। फल, सब्जियां,दूध-दही के साथ ही संतुलित एवं प्रोटीन युक्त डाइट लेती हूं। जहां तक ऐब्स बनाने की बात है, तो वह मैं फिजियोथेरेपिस्ट एवं न्यूट्रिशनिस्ट के दिशा-निर्देश एवं निगरानी में ही करती हूं।‘
विश्व रिकॉर्ड के साथ ही जीते स्वर्ण पदक
नवंबर 2019 की बात है,जब पूजा ने अपने नाम एक और उपलब्धि दर्ज की, जब उसने दिल्ली में आयोजित स्पोर्टीगो टूर्नामेंट में तीन किलोमीटर की रेस (अंडर 14 श्रेणी) 12.50 मिनट में पूरा कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। इसके अलावा, उन्होंने तीन हजार मीटर, 1500 मीटर एवं 800 मीटर श्रेणी में स्वर्ण पदक भी जीते। पूजा के मामा एवं उनके कोच सरवन की मानें, तो बच्ची की काबिलियत एवं उसकी उपलब्धियों को देखते हुए वर्ष 2019 में ‘विराट कोहली फाउंडेशन’ ने उन्हें सपोर्ट करने का निर्णय लिया है।
फाउंडेशन से मिला पूरा सपोर्ट
दरअसल,पूजा के पिता एक छोटे किसान हैं और उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि वे बेटी के लिए अच्छी ट्रेनिंग आदि का प्रबंध कर सकें। इसलिए वह अपनी ननिहाल में मामा के साथ रहकर अपने सपने को पूरा करने की कोशिश कर रही है। चौथी कक्षा में पढ़ने वाली पूजा बताती हैं,‘फाउंडेशन से सपोर्ट मिलने के कारण ही मैं अच्छे स्कूल में पढ़ाई करने से लेकर पौष्टिक एवं संतुलित आहार ले पा रही हूं।
एक अनुशासित जीवनशैली है मेरी। रात दस बजे तक सो जाती हूं, क्योंकि अगली सुबह प्रैक्टिस करनी होती है। एथलेटिक्स के अलावा पूजा को क्रिकेट एवं जिम्नास्टिक्स का भी शौक है। क्रिकेट में वे तेज गेंदबाजी करती हैं। वहीं, इनके कोच का कहना है कि पूजा बहुत ही अनुशासित हैं। हरेक काम मेहनत एवं समर्पण के साथ करती हैं। साभार-दैनिक जागरण
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