पिछला साल भारत समेत दुनियाभर के ज्यादातर कॉर्पोरेट्स के लिए बहुत बुरा बीता है। कोरोना इंफेक्शन को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन की वजह से उनकी कमाई घटी है। कई कंपनियां मंदी का सामना कर रही हैं। उनके लिए तो वैक्सीन ही सबसे बड़ी उम्मीद है। ऐसे में ज्यादातर देशों में कंपनियों ने अपने-अपने स्टाफ को वैक्सीनेट करने की तैयारी की है। इसमें भारतीय कंपनियां भी पीछे नहीं हैं।
जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड, महिंद्रा ग्रुप, टाटा स्टील, यूनीलीवर, आईटीसी लिमिटेड, आर्सेलर मित्तल निप्पोन स्टील इंडिया, राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियां वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स से बात कर रही हैं ताकि अपने कर्मचारियों को वैक्सीनेट कर सकें। उधर, 16 जनवरी से शुरू हुए वैक्सीनेशन में भारत के सिर्फ हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स ही शामिल हैं। इस समय दो वैक्सीन- कोवीशील्ड और कोवैक्सिन ही उपलब्ध है। मार्च-अप्रैल तक और भी वैक्सीन उपलब्ध हो जाएंगी। अब सवाल यह उठता है कि जब सरकार ने वैक्सीन लगाने को स्वैच्छिक बनाया है तो क्या कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए इसे अनिवार्य कर सकती हैं?
क्या कंपनियां स्टाफ के लिए वैक्सीन को अनिवार्य कर सकती हैं?
देश की टॉप वैक्सीन साइंटिस्ट डॉ. गगनदीप कंग का कहना है कि अक्सर सर्विस रूल्स में कुछ ऐसी बातें शामिल होती हैं कि कर्मचारी के तौर पर आपको उसका पालन करना होता है। कई जगहों पर डॉक्टरों के लिए हेपेटाइटिस बी वैक्सीन अनिवार्य है। यह नियम वर्कर्स की ही सुरक्षा के लिए है। कुछ अस्पताल तो कह देते हैं कि अगर आपको हेपेटाइटिस बी हो गया तो आपका इलाज नहीं करेंगे। इसी तरह, पोलियो लैब्स में काम करने वालों के लिए पोलियो वैक्सीन लगना जरूरी है। अगर आपको अफ्रीका जाना है तो यलो फीवर की वैक्सीन लगवानी ही होगी।
अमेरिका में क्या हुआ है?
यूएस इक्वल एम्प्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी कमीशन (EEOC) ने कंपनियों को फ्लू और अन्य वैक्सीन अनिवार्य करने की इजाजत दी है। साफ है कि अगर कोई कंपनी कोरोना वैक्सीन को अनिवार्य करना चाहती है तो वह ऐसा कर सकती है। हालांकि, उसने यह भी कहा है कि मेडिकल या धार्मिक आधार पर वैक्सीन से छूट का अनुरोध कंपनी से किया जा सकता है।
क्या भारत में भी कॉर्पोरेट्स अपने स्टाफ के लिए वैक्सीन अनिवार्य कर सकते हैं?
नहीं। निशिथ देसाई एसोसिएट्स में एचआर लॉ प्रैक्टिस डिपार्टमेंट के प्रमुख विक्रम श्रॉफ और उनकी सहयोगी सायंतनी साहा के मुताबिक, भारत में सरकार ने वैक्सीन लगाना या न लगाना आपकी मर्जी पर छोड़ा है। अनिवार्य नहीं किया है। ऐसे में कानूनी तौर पर किसी भी कर्मचारी को वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
क्या आपकी कंपनी आपके लिए वैक्सीन की व्यवस्था कर सकती है?
हां। टाटा स्टील से लेकर आईटीसी तक, ज्यादातर कंपनियां वैक्सीन बना रही कंपनियों के संपर्क में हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी कंपनी छोटी है या बड़ी, अगर वह तय करती है कि कर्मचारियों के लिए वैक्सीन की व्यवस्था करनी चाहिए तो वह कर सकती है। फिलहाल सरकार प्रायोरिटी ग्रुप्स को वैक्सीन लगवा रही है। ऐसे में जब भी बाजार में वैक्सीन आएगी, तब कंपनियां अपने स्टाफ के लिए कैम्प लगवा सकती हैं।
क्या कानून बनाकर वैक्सीन अनिवार्य की जा सकती है?
नहीं। फिलहाल तो नहीं लगता। श्रॉफ और साहा के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने FAQs में साफ कहा है कि वैक्सीन अनिवार्य नहीं है। ऐसे में लगता नहीं कि सरकार कानून बनाएगी। कानून बन गया तो सरकार को सबके लिए वैक्सीन की व्यवस्था भी करनी होगी, जो इस समय बहुत मुश्किल लग रहा है।
क्या कोई कंपनी अपने कर्मचारियों से पूछ सकती है वैक्सीन लगवाई है या नहीं?
हां। श्रॉफ के मुताबिक, भारत के मौजूदा कानून के तहत ऐसा हो सकता है। सरकार के FAQs में साफ तौर पर कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को वैक्सीनेशन के बाद क्यूआर-बेस्ड सर्टिफिकेट मिलेगा। कंपनियां कर्मचारियों से यह सर्टिफिकेट पेश करने को कह सकती है।
वैसे, हमारे डेटा प्राइवेसी रूल्स किसी कर्मचारी के मेडिकल रिकॉर्ड और हेल्थ कंडीशन को सेंसिटिव पर्सनल डेटा या सूचना (SPDI) की श्रेणी में रखते हैं। ऐसे में कंपनियों को कर्मचारी की सहमति लेनी होगी और डेटा की प्राइवेसी को सुनिश्चित करनी होगी।
क्या कोई कंपनी कर्मचारी को वैक्सीनेशन न होने पर ऑफिस आने से रोक सकती है?
हां। यह कंपनी तय करेगी कि जिन कर्मचारियों को वैक्सीन न लगी हो, उन्हें घर से काम करने की इजाजत देनी है या नहीं। कोई कर्मचारी मेडिकल कारणों से वैक्सीन लगाने से इनकार करता है तो कंपनी उसे परिसर में आने की अनुमति दे सकती है।
क्या कर्मचारी यह कहकर ऑफिस आने से इनकार कर सकता है कि उसे वैक्सीन नहीं लगी है?
नहीं। साहा के मुताबिक, अगर सर्विस रूल्स के तहत ऑफिस से काम करना जरूरी है तो कर्मचारी यह नहीं कह सकता कि वैक्सीन नहीं लगी है इसलिए ऑफिस नहीं आना। वैसे, वह कंपनी से यह कह सकता है कि मेडिकल कारणों की वजह से उसे घर से काम करने की इजाजत दी जाए।
कंपनी ने वैक्सीन अनिवार्य किया और कर्मचारी की तबियत बिगड़ी तो दोषी कौन होगा?
इस समय तो नहीं लगता कि कोई कंपनी वैक्सीन अनिवार्य करेगी। बेहतर यही होगा कि वह भी सरकार की तर्ज पर कदम उठाए और वैक्सीन को स्वैच्छिक ही रखें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रेरित करें।
उनका क्या होगा जो मेडिकल हिस्ट्री की वजह से वैक्सीनेट नहीं होंगे?
श्रॉफ और साहा के मुताबिक, इस तरह के प्रश्नों का कोई एक जवाब नहीं हो सकता। मेडिकल एडवायजर की सलाह पर कंपनी केस-टू-केस बेसिस पर डील कर सकती है। अमेरिका में EEOC ने स्पष्ट गाइडलाइन जारी की है, पर भारत में फिलहाल सरकार ने कुछ नहीं कहा है।
कर्मचारियों को कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं?
सरकार ने जिस तरह कोरोना वैक्सीन को लेकर जागरुकता अभियान शुरू किया है, उसमें कंपनियां भी भाग ले सकती हैं। इसके लिए ट्रेनिंग, पोस्टर्स, मेडिकल कैम्प, साइड-इफेक्ट्स पर पेड लीव, साइड-इफेक्ट्स के लिए मेडिकल इंश्योरेंस कवर का फायदा उठा सकती है। कुछ कंपनियां अपने स्टाफ को फ्री या कम कीमत में वैक्सीन उपलब्ध कराने पर विचार कर रही हैं।साभार-दैनिक भास्कर
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