गाजियाबाद। शांतिनगर में सरकारी जमीन को बेचने वाले गुनहगारों पर शिकंजा कसने लगा है। फर्जी दस्तावेज तैयार करके सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कर बेचने वाले पति-पत्नी के खिलाफ शांतिनगर की पीड़ित महिला कुसुम मौर्या ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। कोर्ट के आदेश पर सिहानी गेट थाने में दर्ज रिपोर्ट में रजिस्ट्री करने वाली महिला ओर उसके पति को नामजद किया गया है।
शांति नगर मामले में यह पहला मामला है जब सरकारी जमीन को बेचने वालों पर रिपोर्ट दर्ज की गई है। अब फर्जीवाड़ा करने वाले दंपती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस मामले के बाद अब जल्द ही अन्य आरोपियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
नंदग्राम में प्रस्तावित राजनीतिक प्रशिक्षण केंद्र के निर्माण के लिए नगर निगम ने सितंबर माह में जमीन खाली कराई थी। निगम ने शांतिनगर और लोहिया विहार में बने 11 मकानों को सरकारी जमीन पर बने होने की वजह से ध्वस्त कर दिया था। इस कार्रवाई में 14 परिवार बेघर हो गए थे। नगर निगम ने यहां बसे परिवारों के मकान तो ध्वस्त कर दिए थे, लेकिन सरकारी जमीन को बेचने वाले भूमाफियाओं पर कार्रवाई नहीं की गई थी।
निगम की इस कार्रवाई से बेघर हुई महिला कुसुम मौर्या और उनके पति जयप्रकाश मौर्या ने अधिकारियों को उनके प्लॉट की रजिस्ट्री की कॉपी भी दिखाई थी। कार्रवाई से प्रभावित कुसुम मौर्या ने रजिस्ट्री करने वाली महिला रजनी बाला और उसके पति रामानंद के खिलाफ पुलिस से शिकायत की, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। कुसुम मौर्या की ओर से कोर्ट में याचिका दाखिल की गई तो अदालत ने फर्जीवाड़े के आरोपी दंपती के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश जारी किए।
कोर्ट के आदेश के बाद सिहानी गेट थाना पुलिस ने सरकारी जमीन की रजिस्ट्री करने वाली महिला रजनी बाला और उसके पति रामानंद के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने समेत कई अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
पहले सरकारी जमीन बेची, फिर निर्माण सामग्री बेचकर कमाया मुनाफा
मेहनत की कमाई से बनाए गए मकान के ध्वस्त हो जाने से बेघर हुई कुसुम मौर्या के पति जयप्रकाश ने बताया कि रजनी और उसके पति रामानंद ने पहले तो सरकारी जमीन बेचकर उनसे ठगी की, इसके बाद निर्माण सामग्री भी बेची। रजनी का पति रामानंद क्षेत्र में ही बिल्डिंग मेटेरियल बेचने का काम करता था। उसी से रोड़ी, सीमेंट और बदरपुर आदि खरीदा। रामानंद ने ही लाखों रुपये की निर्माण सामग्री बेचकर मुनाफा कमाया। उसने यह भनक नहीं लगने दी कि यह जमीन सरकारी है और उसने अवैध रूप से बेची है।
अब रजिस्ट्री करने वाले दूसरे लोगों पर भी कस सकता है शिकंजा
लोहिया विहार और शांतिनगर में कई अन्य लोगों ने भी सरकारी जमीन भोले-भाले लोगों को बेचकर धोखाधड़ी की है। ध्वस्तीकरण के बाद बेघर हुए परिवारों के पास रजिस्ट्री की कॉपी भी मौजूद है। कोर्ट के आदेश पर जमीन बेचने वालों के खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज हो जाने के बाद अब अन्य प्रभावित परिवारों के लिए भी रास्ता खुल गया है। सरकारी जमीन बेचने वाले अन्य लोगों के खिलाफ भी जल्द ही रिपोर्ट दर्ज हो सकती है।साभार-अमर उजाला
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