कोरोना में गणतंत्र दिवस:26 जनवरी की परेड में 5 गुना कम दर्शक होंगे, परेड का रूट भी 8 से घटाकर 3 किमी किया गया

परेड राजपथ से मार्च करती हुई लालकिला पर खत्म होती थी। इस बार इंडिया गेट के नेशनल स्टेडियम पर ही इसे खत्म कर दिया जाएगा। (फाइल फोटो)

कोरोनाकाल में देश 2021 के गणतंत्र दिवस को अलग तरीके से मनाएगा। इस बार विजय चौक से राजपथ पर निकलने वाली मुख्य परेड बेहद सीमित रहेगी। परेड का आयोजन करने वाले रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अमूमन परेड देखने के लिए सवा लाख लोग आते हैं। कोरोना के चलते इस बार सिर्फ 25 हजार लोगों को ही आने दिया जाएगा। परेड से लेकर दर्शक दीर्घा और VVIP की संख्या में भारी कमी की जाएगी।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। यह 6वां मौका है जब गणतंत्र दिवस पर ब्रिटेन के मुख्य अतिथि मौजूद रहेंगे। सूत्रों ने बताया कि गणतंत्र दिवस समारोह में भीड़ नियंत्रित करने के लिए टिकटों की बिक्री और विशेष अतिथि पास की संख्या बेहद कम कर दी गई है।

काउंटर से सिर्फ 4500 टिकटों की बिक्री
इस बार सिर्फ 4 काउंटरों से गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के टिकट बिकेंगे। कुल 4500 से अधिक टिकट नहीं बेचे जाएंगे। 2020 की गणतंत्र दिवस की परेड में 32 हजार टिकटों की बिक्री हुई थी। दिल्ली में 8 तरह के केंद्रों से टिकट बिक्री हुई थी। मीडियाकर्मियों और उनके परिजन के लिए 5000 से ज्यादा पास जारी होते हैं, लेकिन इस बार सिर्फ 300 पास दिए गए हैं।

झांकियों की संख्या में कटौती नहीं
परेड में निकलने वाली झांकियों में कटौती नहीं की गई है। इस बार 16 राज्यों और 6 केंद्रीय विभागों की झांकियां परेड में शामिल होंगी। लेकिन, सेना और अर्धसैनिक बलों की मार्चिंग टुकड़ियों में जवानों की संख्या भी कम रहेगी। इस बार सिर्फ चार स्कूलों की दो डांस टोलियां को इजाजत दी गई है। पिछली परेड में 8 स्कूलों की भागीदारी थी।

परेड नेशनल स्टेडियम तक ही होगी
गणतंत्र दिवस की परेड राजपथ से मार्च करती हुई लालकिला पर खत्म होती थी। इस बार इंडिया गेट के नेशनल स्टेडियम पर ही इसे खत्म कर दिया जाएगा। यानी परेड का रास्ता 8 से घटा कर 3 किलोमीटर कर दिया गया है।

बांग्लादेश का बैंड होगा शामिल
​​​पड़ोसी देश बांग्लादेश अपनी आजादी की स्वर्ण जयंती के मौके पर गणतंत्र दिवस समारोह में अपनी सेना का बैंड भेज रहा है। 1971 के युद्ध में भारतीय सेना की अहम भूमिका के चलते ही बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्ति मिली थी।साभार-दैनिक भास्कर

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