दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आईएएस का चयन मनमौजी प्रक्रिया नहीं हो सकती। पीठ ने चयन प्रक्रिया के तहत निर्धारित किए गए साक्षात्कार को रद्द करने पर संघ लोक सेवा आयोग को फटाकार लगाई है। राजस्थान के 20 गैर-राज्य सिविल सेवा अधिकारियों की ओर से यूपीएससी के इस फैसले को चुनौती दी गई है। पीठ इस मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर को करेगी।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की एकल पीठ ने इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए कहा कि आईएएस चयन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए इसके लिए निर्धारित मानदंडों, प्रक्रियाओं और अनुशासन का पालन करना पड़ता है। पीठ ने कहा कि राज्य या कोई भी संस्थान इन मानदंडों का पालन करने में विफल रहता है तो यह निहित स्वार्थों द्वारा कुशासन और दुरूपयोग का कारण बन सकता है।
पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में साक्षात्कार को रद्द करने को एकाकी घटना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह चयन प्रक्रिया में एक गहरी गड़बड़ी का प्रतिनिधित्व करता है, जो कि उचित रूप से और पारदर्शी तरीके से होना चाहिए। पीठ ने कहा कि अगर ऐसी किसी गतिविधि के बारे में अदालत को पता लगता है कि क्रमिक रूप से चयन तंत्र को बाधित किया जा रहा है तो अदालत अपनी आंखे बंद नहीं कर सकती।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने कहा कि यूपीएससी ने शुरू में 31 दिसंबर 2019 को साक्षात्कार के लिए तिथि निर्धारित की थी, लेकिन उम्मीदवारों की संख्या को देखते हुए साक्षात्कार की तिथि एक जनवरी 2020 तक बढ़ा दी गई। उन्होंने कहा कि जब उम्मीदवार 31 दिसंबर को यूपीएससी पहुंचे तो वहां चयन समिति को बुलाया ही नहीं गया था। इसके बाद एक जनवरी को को निर्धारित किए गए साक्षात्कार को भी समिति के दो सदस्यों की नियुक्ति ना होने के कारण रद्द कर दिया गया।
राजस्थान के जिन 20 गैर-राज्य सिविल सेवा अधिकारियों की यह याचिका दायर की गई है, वे सभी राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा में नियुक्ति के इच्छुक हैं। इनकी ओर से दायर याचिका को पीठ ने सुनवाई योग्य स्वीकार करते हुए यूपीएससी को फटकार लगाई।साभार-अमर उजाला
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